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________________ नीलिहाल्यानम् स्वामी की उन्नति-अवनति का सेवक पर प्रभाव : यो यत्प्रतिबद्धः स तेन सहोदयव्ययी ।।47 ।। अन्वयार्थ :- (यो) जो व्यक्ति (यत्) जिससे (प्रतिबद्धः) आश्रय प्राप्त है (स:) वह (तेन) उसके साथ (सह) साथ (उदय:) उन्नति और (व्ययः) अवनति [भवति] होती है ।। जो सेवक अपने स्वामी की भक्ति करता है उसकी उन्नति व अवनति उसके साथ-साथ ही होती है। विशेषार्थ :- मालिक का उत्थान होता है तो सेवक का भी महत्त्व बढ़ता है और यदि स्वामी अवनति पथ पर चलेगा तो सेवक का भी उसी प्रकार का प्रभुत्व क्षीण होता है । अर्थात् स्वामी की आर्थिक हानिवृद्धि होने पर सेवक भी हानि-वृद्धि अवस्था को प्राप्त करता है । भागुरी विद्वान् ने भी इस विषय में कहा है : सरस्तोय समो राजा भृत्यः पद्माकरोपमः । तवृद्धया वृद्धिमभ्येति तद्विनाशे विनश्यति ॥1॥ अर्थ :- राजा सरोवर के नीर सदृश है, उसका सेवक कमल समूह के समान है । इसलिए राजा की वृद्धि से उसकी वृद्धि और हानि से हानि होना स्वाभाविक है । सरोवर में जल वृद्धिगत होता तो कमल भी ऊपर ऊपर होता जाता है । जल सूखा तो कमल भी । अतः राजा की उन्नति और अवनति सेवक को प्रभावित करती ही है 147 ॥ स्वामी के आश्रय से सेवक को लाभ : स्वाभिनाधिष्ठितो मेषोऽपि सिंहायते ।।48॥ अन्वयार्थ :- (मेष:) मेढा (अपि) भी (स्वामिना) मालिक से (अधिष्ठितः) आश्रय से (सिंहायते) शेर के समान बलवान हो जाता है ।। कहावत है "अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है ।" साधारण मेढ़ा भी सहाय पाकर सिंह समान हो जाता है। उसी प्रकार राजा के समुन्नत होने पर सेवक भी बलवान होता है और राजा की हानि सेवक को भी बलहीन बना देती है ।। रैभ्य विद्वान ने इस विषय में लिखा है : स्वामिनाधिष्ठि तो भृत्यः परस्मादपि कातरः । श्वापि सिंहायते यद्वन्निजं स्वामिनमाश्रितः ॥1॥ अर्थ :- जिस प्रकार अपने स्वामी का आश्रय प्राप्त कर श्वान-कुत्ता भी शेर बन जाता है उसी प्रकार सेवक (नौकर) भी अपने मालिक का आश्रय-सहयोग प्राप्त कर कायर भी वीर पुरुष बन जाता है ।। गुप्त सलाह के समय मंत्रियों का कर्तव्य : मन्त्रकाले विगृह्य विवादः स्वैरालापश्च न कर्त्तव्यः । 149॥ 247
SR No.090305
Book TitleNiti Vakyamrutam
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages645
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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