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________________ पृष्ठ संख्या 239 240 241 242 242 244 244 246 247 247 247 248 248 249 250 विषय 26. ऋपरिक्षित स्थान में मंत्रणा करने का फल 27. गुप्त सलाह के अयोग्य व्यक्ति 28. मन्त्र के समय न आने वाले व्यक्ति का स्वरूप 29. मंत्र प्रकाशित होने से कष्ट होता है 30. जिन कारणों से गुप्त मन्त्रणा प्रकट होती हैं 31. निश्चित विचार को शीघ्र कार्यान्वित करना चाहिए 32. निश्चित विचार के भन्सार कार्य न करने से हानि 33. संसार में प्राणियों का शत्रु 34. स्वयं करने योग्य कार्य को दूसरे से कराने से हानि 35. स्वामी की उन्नति-अवनति का सेवक पर प्रभाव 36. स्वामी के आश्रय से सेवक को लाभ 37. गुस सलाह के समय मंत्रियों का कर्तव्य 38. मन्त्र का प्रधान प्रयोजन फल 39. उक्त वाक्य का दृष्टान्त द्वारा समर्थन 40. राजा का शत्रु कैसा मन्त्री होता है 41. मन्त्री का कर्तव्य 42. मन्त्री को आग्रह करके भी कौन कर्त्तव्य कराना चाहिए 43. मंत्रियों का कर्त्तव्य 44. राजा के सुख-दुख का मंत्रियों पर प्रभाव 45. कर्तव्यपरायण मंत्रियों के कार्यों में असफलता क्यों 46. राजा के कर्तव्य का निर्देश 47. पुन: मंत्रणा का माहात्मय 48. पराक्रम शून्य राजा की हानि 49. नीति या सदाचार प्रवृत्ति से लाभ 50. हित प्राप्ति और अहित-त्याग का उपाय 51. मनुष्य का कर्तव्य 52. समय चूकने पर कार्य का दोष 53. नीतिज्ञ मनुष्य का कर्तव्य 54. मंत्रियों के विषय में विचार और एक मंत्री से हानि 55. दो मन्त्रियों से हानि 56. दो मंत्रियों से होने वाली क्षति 57. राजा को कितने मंत्री रखने चाहिए 58. परस्पर ईष्या करने वाले मन्त्रियों से हानि 250 251 251 252 252 253 253 254 256 256 257 257 258 259
SR No.090305
Book TitleNiti Vakyamrutam
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages645
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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