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________________ चारममुरेश AM... mere . .. . ... 4. 0 गुप्रपरको वदास्थित' कहते हैं ॥ १२ ॥ कृषक-वेशमें रहनेवाला 'गृहपति' और मैठक गावर 'वैदेहिक' कहा जाता है ।। १२ ॥ कपट-युक्त (अमावी)त्रत विद्या द्वारा उगनेवाले वेशधारी गुपचरको तापस' कहा है ॥१३ ।। जिसके समस्त शरीरके अङ्गोपाङ्ग (हस्तमें छोटे हों, उस (बोने) गुप्रचरको 'किरात' कहते हैं ॥ १४ ॥ प्रत्येक गृह में जाकर चित्रपट कई तस्वीर दिखानेवाला अथवा गला फाड़कर चिल्लाने वाला (कोटपाल-बेरी) गुपचर 'यम..... || सर्प-कोड़ामें चतुर-सपेरेके वेषमें वर्तमान-गुपचर 'अहिंतुण्डिक' कहा गया है मेयनेवाले के वेषमें वर्तमान गुप्तचरको 'शौगिक' कहा है ।। १७ || जो गुप्रचर रात्रिमें ना. पर्दा लगाकर नाटकका पात्र बनकर अनेक रूप प्रदर्शन करता है, उसे 'शोभिक' कहते हैं ।। १ ।। दीके वेषमें वर्तमान गुमश्चरको 'पाटकचर' कहते हैं ।। १६ ।। जो गुपचर व्यभिचार-आदि : कति करनेवाले व्यभिचारियों आदि को वेश्या प्रादिके यहां भेजकर अपनी जीविका करता प्रयोजनमति करता है उसे 'विट' कहते हैं।। २० ।। सभी दर्शकों या श्रीनालों को हंसानेको मोबसवर 'विदूषक' है ।। २१ ।। कामशास्त्र(वात्स्यायनकामसूत्र प्रादि )के विद्वान गतचरको गावे ।। २२ ।। जो गुप्तचर कमनीय व स्त्रीवेष-प्रदर्शक वस्त्र-मादी-जम्फर-आदि पहनकर विका करता हो अथवा नाटककी रङ्गभूमिमें सुन्दर देष-भूषासे अलष्कृत होकर भावप्रदर्शन रनेवाला हो उसे 'नर्तक' कहते हैं ।। २३ । जो वेश्याओंकी जीविका--पुरुष-वशीकरण द्वारा सनव संगीतकला-प्राविका उपदेश देनेदाला हो,उमे 'गायक' कहते हैं।।२४।गीत संबंधी प्रबन्धोंकी को मानेमामा और चारों प्रकारके-तत, अवनद्ध, धन ध सुधिर (मृता-आदि) बाग बजानेसमय गुप्तपरको 'पादक' कहते हैं ॥ २५ ॥ओ स्तुति पाठक या बन्दी बनकर राजकीय प्रयोजन, इसे 'चारजीवी कहते हैं ॥२६॥ गणित शास्त्रका घेत्ता अथवा ज्योतिष विणाके विद्वान ते हैं ॥ २७ ॥ शुभ-अशुभ लक्षणों से शुभाशुभ फल बतानेवाले को 'शानिक' कहते महापायुर्वेदका ज्ञावा व शस्वचिकित्सा-प्रवीण गुप्तचरको भिषक्' कहते हैं ॥२॥ मास्त्र में कही हुई युक्तियों द्वारा मनको ग्राश्चर्य उत्पन्न करनेवाला हो अथवा मायाचारी हो उसे कहते हैं।। ३० ॥ निशाना मारनेमें प्रवीण-धनुर्धारी अथवा निमित्तशास्त्र के विद्वान् गुमचर हते है।। ३१ ॥ पाक-विद्या प्रवीण गुप्तचरको 'सूद' कहते है ॥३२॥ नाना प्रकारकी भोग्य जा गुपपरको 'भारानिक' कहते हैं ।। ३३ ॥ हाय-पैर भादि प्रमोंके दापनेकी कलामें निपुकार मेवाने (कुलीके भेषमें रहनेयाने)गुप्रचारको 'संवाहक' कहते हैं । ३४ ॥ जो गुमचर धन-लोभ... ठिन कायोंसे अपनी जीविका करते हैं, यहां तक कि कभी २ अपने जीवन को भी खतरे में डा. सा-ये लोग धन-लोभसे कभी हाथी और शेरका भी मुकाबला करने में तत्पर हा. पनी जानतक का खतरा नहीं रहता ऐसे वधा सहनशीजता न रखनवाले गुमचरों को
SR No.090304
Book TitleNitivakyamrut
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorSundarlal Shastri
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, P000, & P045
File Size12 MB
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