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________________ चारसमुरेश H D HINDI.IN........... ...rekaarPravdae Laureummara.oomameraman गुप्तचरोंके भेद और उनके अक्षण छात्रणकापटिकोदास्थित-गृहपति-वैदेहिक-तापस-किरात X यमपट्टिकाहितुण्डिक. शौगिडक-शौमिक पाठच्चर-विट-विदूषक-पीठमई-नर्तक--गायन-वादक-वाग्जीबन-गणक शाकुनिक-भिषगन्द्रजालिक--नैमित्तिक-सदारालिक-संवादक-ती +कर-जड़-मूक-बधिरान्धछमावस्थायियायिभेदेनावसर्पवर्गः ॥८॥ परमर्मज्ञः प्रगन्भश्चात्रः ॥ यं कमपि समयमस्थाय प्रतिपमछात्रवेषकः कापाटिकः ॥१०॥ प्रभूतान्तेवासी प्रशातिशययुक्तो राज्ञा परिकल्पितविरुदास्थितः ॥११॥ गृहपतिवैदेहिको ग्रामकूटप्रेष्ठिनौ ॥१२॥ वाझव्रतविद्याभ्यां लोकदम्महेतुस्तापसः ॥१३॥ अम्पाखिलशरीरावयवः किरोतः ॥१४॥ यमरद्विको गलनोटिकः प्रतिगृहं चित्रपटदी वा ॥१॥ अहितुण्डिकः सर्पक्रीडाप्रसरः ॥१६॥ शौण्डिकः कन्यपालः ॥१७॥ शौमिका पायां पटावरणेन रूपदी ॥१८॥ पाटचरश्चौरो मन्दीकारो वा ॥१६॥ ध्यसनिनां प्रेषणानुजीयो विटः । २०॥ सर्वेषां प्रहसनपात्र विदूषकः ॥२१॥ कामशास्त्राचार्यः पीठम ॥२२॥ मा प्रतियों में 'पद नहीं है। x इसके पश्चात् 'भू० प्रतियोंमें माडियाक्षिक पद है, जिसका मध-पूत-कीका निपुण गुप्तचर है। + इसके पश्चात् मू० प्रतियों में 'रसद पाठ है जिसका अर्थ-पावसी गुतवर है।
SR No.090304
Book TitleNitivakyamrut
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorSundarlal Shastri
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, P000, & P045
File Size12 MB
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