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________________ ११८ * नीसिवाक्यामृत के. IPornkuntirRomamaaaa.." ParRom राज्यपदका परिणामः वन्धनान्तो नियोगः ॥४५॥ अर्थः-राज्याधिकार अन्तमें बन्धनका कष्ट देता है ।। ४५ ।। गुरु' विद्वानने मी लिखा है कि 'जन्मके साथ मृत्यु, उमति के साथ अपनति-पतन,योग (ध्यान) के साथ नियोग-विचलित होना और राज्याधिकार के साथ बन्धनका दुःख लगा रहता है ।। १॥ दुष्टोंकी संगतिसे होनेवाली हानिः-- विपदन्ता खलमंत्री ।। ४६ ॥ अर्थः-दुष्टोंकी संगति अन्तमें युःख देनेवाली है ।। ४६ ।। पक्षभदेव' विद्वानने भी कहा है कि 'पूज्य' मनुष्य भी दुष्टों की संगतिसे परामव-तिरस्कारको प्राप्त होता है जिसप्रकार लोहेकी संगति करतेसे अग्नि जवदरत हथोड़ोंसे पीटी जाती है ॥१॥ स्त्रियों में विश्वास करनेसे हानिः मरणान्सः स्त्रीषु विश्वासः ॥ १७ ॥ अर्थः-स्त्रियों में विश्वास करनेसे अन्तमें मृत्यु होती है ।। ४७ ॥ विष्णुशर्मा विद्वान्ने कहा है कि 'गरुड़के द्वारा लिये जानेवाले पुण्डरीक नामके नागने कहा है कि जो स्त्रियोंके समक्ष अपनी गुप्त बात प्रगट करता है उसकी मृत्यु निश्चित है ॥१॥ इत्यान्धीक्षिकीसमुद्दशः १ तथा च गुरु: म जन्म मृत्युना वास नोच्चैस्तु पतनं विना । न नियोगस्युतो योगो नाधिकारोऽस्त्यवचनः ।।१।। २ तथा च वलभदेवःअसत्संगात् पराभूति याति पूज्योऽपि मानवः। . लोहसंगाद्यतो वहिस्ताख्यते सुचनैर्धनैः ॥ १ ॥ ३ तथा च विष्णुशर्मा:नीयमानः खगेन्द्रेण नागः पौगरिकोशाषीत् । श्रीणां महामारज्याति तदतं तस्य जीवितम् ॥ ॥
SR No.090304
Book TitleNitivakyamrut
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorSundarlal Shastri
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, P000, & P045
File Size12 MB
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