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________________ माख [] : शनि, शौच व गृहप्रवेश, व्यायामसे लाभ, निद्रा- लक्षण, लाभ, स्वास्थ्योपयोगी कर्तव्य, स्नानका उद्देश्यआदि, आहार संबंधी सिद्धान्त, सुखप्राप्तिका उपाय, इन्द्रियों को कमजोर करने वाला कार्य, वाजी इसे साम, निरन्तर सेवन योग्य वस्तु, सदा बैठने व शोक से हानि, शरीर गृहकी शोभ, अविश्व सनीय व्यक्ति, ईश्वर स्वरूप व उसकी नाममाला । _३२३-३३० नियमित समय में विलम्ब से कार्य करने में क्षति, आत्मरक्षा, राज कर्तव्य, राजसभा में प्रविष्ट होने के यो Baf, विनय, स्वयं देखरेख करने लायक कार्य, कुसंगतिका त्याग, हिंमाप्रधान कामका निषेध, परस्त्रो के साथ मातृभगिनी-भाष, पुज्योंके प्रति कर्तव्य, शत्रुस्थान में प्रविष्ट होनेका उपासना के मादसवारी, अपरीक्षित स्थान आदि में जानेका निषेध, अगन्तव्य स्थान, स्म करने खाचक विद्या, राजकीय प्रस्थान, भोजन वस्त्रादिकी परीक्षा, कर्तव्य विष्णु-विनियां डाला, ईश्वरभक्तिका असर, कार्यसिद्धि के प्रतीक, गमन व प्रस्थान. ममद, राजीका जयमंत्र भोजनका समय, शक्ति-दीनका कामोद्दीपक आहार. की सफलता, इन्द्रियों को प्रसन्न रखने के स्थान, उत्तम बेंग-निरोधसे हानि, विषयभोगके प्रयोग्य काल क्षेत्र, कुलवधूके श्रीतिक वेष-भूषा व आचरण, अपरीक्षित व्यक्ति या वस्तुका 'वे सभी पर अविश्वाससे हानि ३३१-२३५ _३३६-३४५ न धिक लोम, भासस्य व विश्वास से इति, बलिष्ठ शत्रु - कृत आक्रमण से बचाव, परदेशगत शेषवंश प्रतिष्ठा-हीन व्यक्तिकी हानि, व्याधि-पीड़ित व्यक्ति के कार्य, धार्मिक औषधि, भाग्यशाली पुरुष, मूबोंके कार्य भयकालीन कर्तव्य, धनुर्धारी व तपस्वीका फाइदाका दुष्परिणाम, हितकारक वचन, दुष्टोंके कार्य, लक्ष्मीसे विमुख एवं वंशवृद्धि में असमर्थ पुरुष, उत्तम दान, उत्साहसे लाभ, सेवकके पापकर्मका फल, दुःख का कारण, फुलंगका त्याग कविताका प्रम, उठावलेका पराक्रम, शत्रु-निग्रहका उपाय एवं राजकीय अनुचित क्रोध से शोकसे हानि, निन्ध पुरुष, स्वर्ग-च्युटका प्रतीक, यशस्वी की प्रशंसा, पृथ्वीरामका ३३६-३४१ साररूप सुखमामका उपाय (परोपकार), शरणागत के प्रति कर्तव्य आदि गुमान शून्य नरेश, कुटुम्ब संरक्षण, परस्त्री व परधनके संरक्षणका दुष्परिणाम, अनुरक्त सेवकके प्रति स्वामी व्यस्याज्यसेवक, न्यायोचित दडविधान, राजकर्तव्य, बाके बचन, व्यय, वेष-भूषा, स्थान, कार्य-भारम्भ सुखप्राप्तिका उपाय, श्रवमपुरुष, मर्यादा-पालन, दुराचार सदाचारसे हानि-लाभ, सर्वत्र संदिग्ध व्यक्तिकी हानि, उत्तम भोज्य रसायन पापियोंको वृत्ति, पराधीन भोजन, निवासयोग्य देश, अम्मान्ध, ब्राह्मण, निःस्पृह, दुःखका कारगा, उच्चपदकी प्राप्ति, सच्चा आभूषण, राजमंत्री, दुष्ट और यापकों प्रति कर्तव्य, निरर्थक स्वामी, राजकीय सत्ययज्ञ तथा सैन्य शक्तिका सदुपयोग ३४२-२४५ २७ व्यवहार-समुदेश३४६-३५७ अनिवार्य पालन पोषण के योग्य व्यक्ति, तीर्थ- सेवाका फल, तीर्थसेवक, मित्र, स्त्री, देश, बन्धु, गृहस्थ, दान, भाहार, प्रेम, मनुष्योंका हृद् बन्धन, बासियों की प्रकृति, तिन्य स्वामी,
SR No.090304
Book TitleNitivakyamrut
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorSundarlal Shastri
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, P000, & P045
File Size12 MB
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