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________________ नियुक्ति पंचक छंदानुलोम से अनेक स्थलों पर सप्तमी विभक्त बोधक ए प्रत्यय का इ भी स्वीकृत किया है। विशेषतः उत्तराध्ययननियुक्ति में ऐसा अधिक हुआ है, जैसे- महुराए > महुराइ, अट्टमे > अट्टम । छंद की दृष्टि से मात्रा को ह्रस्व करने के लिए हमने " चिह्न का प्रयोग भी किया है, जैसे- दव्वेसणाएँ आदि । ७२ अनेक स्थलों पर भावों के अनुरूप भी छंद का उपयोग हुआ है, जैसे- उत्तराध्ययन नियुक्ति में आपणढभूति की कथा के अंतर्गत अनुष्टुप और मागधिका छंद का प्रयोग तथा आचारांग नियुक्ति में रोहगुप्त मंत्री द्वारा दी गयी समस्या पूर्ति की कथा में इंद्रवज्रा छंद का प्रयोग गाठ संपादन में हमने छंद ध्यान में रखा है किन्तु मूल विषय का प्रतिपादन, उसकी मौलिकता और सहज प्रवाह नष्ट न हो वह भी ध्यान में रखा है। यद्यपि निर्बुक्तिकार ने प्रसंगवश अनेक विषयों की व्याख्या की है लेकिन यहां पांचों नियुक्तियों में वर्णित कुछ विशेष विषयों की प्रस्तुति की जा रही हैं १. निर्जर की तरतमता के स्थान २. भावनाएं ३ प्रणिधि/त्रणिधान ४. साधना के बाधक तत्त्व ५ त्रिवर्ग ६. वर्ण व्यवस्था एवं वर्णसंकर जातियां ७. स्थावरकाय ८ भिक्षु का स्वरूप ९. भिक्षाचर्या १०. दिशाएं ११. करण १२. काव्य १३. यातायात पथ निर्जरा की तरतमता के स्थान आचारांग के सम्यक्त्व अध्ययन की नियुक्ति में गुणश्रेणी - विकास की दश अवस्थाओं का वर्णन है। इन अवस्थाओं में पूर्व अवस्था की अपेक्षा उत्तरवर्ती अवस्था में असंख्यात गुणा अधिक निर्जरा होती है। गुणश्रेणी - विकास की दश अवस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं १. सम्यक्त्व - उत्पत्ति— उपशम या क्षयोपशम सम्यक्त्व की प्राप्ति । २. श्रावक - अप्रत्याख्यानावरण कणाय के क्षयोपशम से आंशिक विरति का उदय । ३. विरत — प्रत्याख्यानावरण कषाय के क्षयोपशम से सर्वविरति का उदय । ४. अनंतकश - अनंतानुबंधी कषाय चतुष्क का क्षय । ५. दर्शनमोहक्षपक – दर्शनमोह की सम्यक्त्व मोहनीय आदि तीन प्रकृतियों का क्षय । ६. उपशमक – चारित्र मोह की प्रकृतियों के उपशम का प्रारम्भ । ७. उपशांत मोह — मोह का पूर्णतः उपशम ८. क्षपक—– वारित्र मोह की प्रकृतियों के क्षय का प्रारम्भ । ९. क्षीणमोह – चारित्र मोह का सम्पूर्ण क्षय । १०. जिन — कैवल्य-प्राप्ति । १ आणि २२३, २२४ ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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