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नियुक्तिपंचक खद्धाऽऽदाणिय गेहे, पायस 'दट्ठ दमचेडरूवाई" । पितरोभासण खीरे, जाइय 'रदेण सेणा उ"। पायसहरण छेत्ता, 'पञ्चागय दमग असियए' सीस। भाउय सेणाहिवचिसणा, य सरणागतो जत्य ।। वाओदएण' राई, नासति कालेण सिगय पुढवीणं ।
जासति दगस्सराई, पव्यतराई तु जा सेलो॥ १०२. उदगसरिछाई पक्खेणऽवेति चतुमासिएण सिगयसमा।
वरिसेण पुढविराई, आमरणगती उ" पडिलोमा | १०३. सेल टू-थंभ-दारुय, लता य वंसी" य मिंड गोमुत्त ।
अवलेहणिया किमिराग-कद्दम-कुसुंभय-हलिहा" ॥ १०४. एमेव यंभकेयण, वत्थेसु पस्वणा गतीओ य ।
'मरुय-अचंकारिय" पंडरज्ज-मंगू य माहरणा" ।। १०४।१. चउसु कसाएसु गती, साहिरिम मासे य देवगत।।
उवसमह णिच्चकालं, सोगाइमग्गं बियाणंता" ।। १.५. अवहंत गोण मरुए, चउण्ह वप्पाण उक्करो उरि ।
__ 'योदूं मए मुवट्ठाऽतिकोवे' '८ देमु पच्छित्तं ।। 1. बमसरुवा दर्दू (निभा ३१८६) दण १४. मश्यऽचंकारिय (ब,मु)। - चेड० (म,मु)।
१५. निभा ३१९०। २. सद्धे य रोणा न (अ, मु), रखें य तेणा तो
निशीथ भाष्य में १०३ और १०४ को गाथा (निभा)।
में क्रमम्पत्यय है। निभा में एमेव चम ३. मसियए (बी)।
(३१९०) के बाद सेलऽट्टि (३१९) की गाथा ४. पयागय असिथएण सीसं तु (निभा ३१८७)।
है। लेकिन विषय वस्तु की दृष्टि यह ५. चिसणाहि (निभा), सेणावतिखि (मु)।
क्रम संगत नहीं लगता। ६. वामोदएहि (निभा ३१५८)।
१६. गाथाओं के चालू क्रम में प्रस्तुत गाषा केवल ७. सिगइपु. {ला, बी)।
निशीष भाष्य (३१९२) में मिलती है। ८. उदगस्स सति (निभा), उदगस्त सती (मु)।
आयारदशा की नियुक्ति में यह गाथा अप्राप्त ९. सरिच्छी (ला,बी)।
है। संभव है पह निणीय भाडयकार द्वारा १०. य (ल,बी, निभा ३१८९)।
भाष्य में बाद में जोड़ दी गई हो। ११. वसे (निभा)।
१७. छूढो मओ उवट्ठा अति० (निभा ३१९३), १२. मेंड गोमुत्ती (निभा)।
• सुवट्टाति (मु)। १३. निभा (३९९१) में गाथा का, उत्तरार्ध इस १८, णो (म)।
प्रकार है-अवलेहणि फिमि कदम कुसुंभरागे १९. देसु (ला, बी)। इलिय।