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________________ ३९५ ८२/१ ८३. ८४. ८५. ५६. ५७. ८५. ८९. १०. निर्युक्तिपंचक सत्यविगतिग्रहणं, तत्थ वि य असंचय उजा उत्ता । संचय ण गेहंती, गिलाणमादीण कज्जडा' ।। पसत्य विग तिम्गहणं, गरहितविगतिग्गहो य' कज्जम्मि गरहा लाभपमाणे, पच्चय पावप्पडीघात ॥ कारणओ* उडुगहिते, उज्झिऊण गेण्हति अष्णपरिसाडी' । दाजं गुरुस्स तिष्णि उ, सेसा गेण्हति एक्क्कं ॥ उच्चार पासवण - खेलभत्तए, तिष्णि तिष्णि गेष्हति । संजय * आएसठ्ठा 'मुंजेज्जब से स उभंति ॥ घुवलोओ उ जिणाणं, निच्च थेराण वासवासासु । असहू गिलाणगस्स व 'नातिक्कामेज्ज तं रर्याणि ।। मोत्तुं पुराण- भावित सड्ढे, संविग्ग सेसपडिसेहो " | 'मा होहिति निम्मो, " भोयणमोए य उड्डाहो || दारं ॥ डगलच्छारे लेवे, घड्डण गहणे तहेव धरणे व पुंछण- गिलाण भायणभंगादिहेतु से ॥ इरिएसण मासाणं, मण- वयसा काइए" अहिकरण-कसायाणं, संवछरिए कामं तु सव्वकालं पंचसु समितीसु होति जतियन्वं । 'वासासु अहोगारो, ४ बहुपाणा मेदिणी जेणं ॥ मत्तग, ग १. ८२३१ की गाथा निभा ३१६९ में ही मिलती है। आयारदशा की हस्तप्रतियों में यह गाया अप्राप्त है। पूणि में भी इस गाथा की व्याख्या नहीं मिलती है । इस गाथा के सम्बन्ध में दो बातें संभव है । प्रथम तो स्वयं निशीथ भाष्कर ने स्पष्टता के लिए यह गाथा लिख दी हो। दूसरा यह भी संभव है कि आयारदशा निर्मुक्ति के लिपिकारों द्वारा यह गाथा छूट गई हो। पुष्ट प्रमाण के अभाव में इसे निर्युक्ति गाथा के क्रम में नहीं रखा है । २. विगतीए गहणम्मि वि ( निभा ३१७०) । ३. व ( निभा, ब ) । ४. कारणे ( विभा ३१७१) । ५. ० साडि ( निभा), परिपाटी (बी) । ६. संजम (ला, निभा ३१७२ ) । ७. य (अ निभा ३१७३) । 5. ९. यदुच्चरिते । faraj || ०वासा उ (बी) । तं रर्याणि तु णऽतिक्कामे ( निभा ) । नातिकमेज्जा तं० (श्री) । १०. सच्चित्त से० ( ला निमा ३१७४) | ११ मा निनो भविस्स (मु.अ ) | १२. प्रस्तुत गाया आयारदशा की चूर्णि की मुद्रित पुस्तक में तथा कुछ आदशों में नहीं मिलती है। किन्तु चूर्णि में इसकी व्याख्या मिलती है। इसके अतिरिक्त निशीथ भाष्य (३१७५) में भी इस क्रम में यह गाथा उपलब्ध है। हमने इसे नियुक्ति गाथा के क्रम में सम्मिलित किया है । १३. कायए (निमा ३१७६) । १४. वासावासं अहिगारो ( ब ) | १५. निभा ३१७७ |
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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