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________________ उत्तराध्ययन नियुक्ति १९१ ४८. सदृश शान-धारित्रगत आदेश (विशेष) के अनेक प्रकार बताए जा चुके हैं। स्वामित्व तथा प्रत्यय (शान का कारण) के विषय में कुछ आगे बताया जाएगा। ४९. भाव विषयक अनादेश के छह प्रकार है-औयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपमिक, पारिणामिक तथा सान्निपातिक । ५०, भाव विषयक आदेश के दो प्रकार है-अर्पित व्यवहार' और अनपित व्यवहार'। प्रत्येक के तीन-तीन प्रकार है-स्व, पर और तदुभय । ५१. आत्मसंयोग (स्वसंयोग) चार प्रकार का होता है-औपशभिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक तथा पारिणामिक। ५२. जो सान्निपातिक भाव औदसिफभाव से रहित होता है, वह ग्यारह संयोगात्मक होता है, यही आस्मापितसंयोग है। ५३. लेण्या, कषाय, वेदना, वेद, अशान, मिथ्यात्व, मिश्र आदि जितने भी औदयिक परिणाम हैं, वे सारे बाह्यापितसंयोग हैं। ५४. जो सान्निपातिक भाव औदयिकभाव से मिश्रित होता है, वह पन्द्रह संयोगात्मक होता है। वह सारा उभयापितसंयोग है। ५५. इसके प्रतिपादन का दूसरा आदेश-प्रकार भी है। उसके अनुसार संयोग तीन प्रकार का है-आत्मसंयोग, बाह्यसंयोग और तदुभयसंयोग । इसका मैं संक्षेप में कथन कर रहा हूं। ५६. आत्मसंयोग छह प्रकार का है-औयिक, औपशमिक, नायिक, क्षायोपशामिक, पारिणामिक तथा सान्निपातिक । ५७. बाह्यसंयोग तीन प्रकार का है नामसंयोग, क्षेत्रसंयोग तया कालसंयोग । आत्मसंयोग और बाह्यसंयोग के मिश्रण से तभयसंयोग होता है । ५८. प्रकारान्तर से आचार्य-शिष्य, पिता-पुत्र, जननी-पुत्री, भार्या-पति, शीत-उष्ण, तमउद्योत, छाया-आतप आदि का पारस्परिक संबंध बाह्य संबंधनसंयोग है। ५९. आचार्य के सदृश आचार्य ही हो सकता है, अनाचार्य नहीं। प्राचार्य के सभी सामान्य गुणों से जो सदृश है, वह शिष्य होता है । अथवा जो शिष्य के सभी गुणों से अन्चित होता है, वह शिष्य होता है। ६०. ज्ञान का ज्ञेय के साथ, चारित्र का चर्यमाण के साथ, स्वामी का सेवक के साथ, पिता का पुत्र के साथ - ये लोकिक संबंध हैं । लोकोत्तर सम्बन्ध जैसे-मेरे कुल में अमुक साधु है और मैं इसके कुल में हूं इत्यादि। ये सारे उभयसम्बंधनसंयोग हैं। १. अर्पित अर्थात् विवक्षित, जैसे क्षायिक आदि भाव की ज्ञाता में विवक्षा करना । २. अनर्पित अर्थात् अविवक्षित, जैसे क्षायिक भाव __ में सब भाव होते हुए भी अनपित हैं।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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