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निमित्तशास्त्रम्
अर्थ :
ईशानकोण की बिजली राजमृत्यु, चोरभय, सुभिक्ष व रोगहानि । को बतलाती है।
प्रकरण का विशेषार्थ बिजली के चमकने को विद्युल्लता योग कहते हैं।
पूर्वदिशा में श्वेत या पीतवर्ण की बिजली कड़के तो वर्षा नियम से होगी । पूर्व दिशा में रक्तवर्णीय बिजली कड़कने पर वायु चलेगी पर। मन्द वर्षा होगी । मन्द-मन्द चमकने के साथ जोर-जोर से बिजली कइके और एकाएक आकाश से बादल हट जावें तो वर्षा के साथ ओले पड़ेंगे । पूर्वदिशा में केशरिया रंभ की बिजली चमकने पर अगले दिन । तेज धूप पड़ेगी व मध्याह्नोत्तर काल में अत्यधिक वर्षा होगी।
यदि पश्चिमदिशा में साधारणरूप से मध्यरात्रि में बिजली चमकती है तो तेज धूप पड़ेलो । स्निग्ध विघुत यादे पश्चिमदिशा में । , कड़ाके के शब्द के साथ चमकती है तो धूप होने के बाद जल की वर्षा
होती है । यहाँ पर इतनी बात और समझ लेना चाहिये कि जल की वर्षा है है के साथ-साथ तूफान भी रहता है । अनेकों वृक्ष धराशायी हो जाते हैं, और पशु-पक्षियों को अनेक प्रकार के कष्ट भी होते हैं।
जिस समय आकाश बादलों से आच्छादित हो, चारों ओर अन्धकार छाया हुआ हो, उस समय नीले रंग का प्रकाश करती हुई बिजली चमके, साथ ही भयंकर शब्दों की आवाज भी हो तो अगले दिन तीन वायु बहने की सूचना समझानी चाहिये और वर्षा भी तीन दिनों के बाद होती है ऐसा इस निमित्त से समझना चाहिये । फसल के लिए इस प्रकार । है की बिजली विनाशकारी मानी गई है।
यदि पश्चिमदिशा की ओर से विचित्रवर्ण की बिजली निकलकर चारों ओर घूमती हुई चमकती हो तो अगले तीन दिनों में वर्षा होगी। इस प्रकार की बिजली फसल में भी वृद्धि करने वाली होती है। गेहूँ, जौ, धान और ईख की वृद्धि विशेषरूप से होती है। यदि पश्चिमदिशा में रक्तवर्ण की प्रभावयुक्त बिजली धीमे-धीमे शब्द के साथ उत्तरदिशा की।
ओर गमन करती हुई दिखाई पड़े तो अगले दिन तेज हवा चलती है और * बहुत तेज धूप पड़ती है। इसप्रकार की बिजली दो दिनों में वर्षा होने की