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निमित्तशास्त्रम्
भावार्थ :
जगर के दरवाजे पर, कोट के दरवाजे पर, मन्दिर पर, राजमहल । पर अथवा चौराहे पर पक्षियों को लड़ते हुए देखना या नाचते हुए देखना है अशुभ होता है। उसका फल आगामी गाथाओं में बतायेंगे।
पायारवालवहोतोरणमज्झेय गब्भयाऊय। गयसाल अस्स साले कुणइवहंसाहणस्स सया||९७|| अर्थ :
पक्षी यदि कोट पर नाचे, तो बच्चों की हानि होती है। पक्षी यदि दरवाजे पर नाचे, तो गर्भवती महिलाओं की हानि होती है । पक्षी यदि * गां-शाला अथवा धुशाला पर नाधे, तो साहूकारों की हानि होगी।
देवणुले विप्पभओ रायगिहेरायणासणं कुणई।
शक्कधये सुयपडिवोपुरस्सणासंणिवेदेई॥९८॥ अर्थ :
देवमन्दिर पर पक्षियों के नाचने से ब्राह्मणों को दःख होता है। राजमन्दिर पर पक्षियों के नाचने से राजा का मरण होता है और चौराहे * पर पक्षियों के नाचने से सम्पूर्ण शहर का नाश होता है ।
आइच्चोजइ छिद्दोअह अकवीसे यदीसएमज्झे।
तोजाणरायमरणं संगामोहोईवरिसेण॥९९|| अर्थ :
यदि सूर्य के मध्य में छेद मालुम होने लगे और सूर्य के मध्य में कुंजाकृति (लताओं और पौधों से आच्छादित स्थान के आकार के समान आकृति का धारक)मनुष्य ज्ञात हो, तो एक वर्ष में राजा की मृत्यु होगी और महाभयंकर संग्राम होगा।
दिवसेउलूय हिंडति सव्वण वायसऊ रयणीसु।