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-निमित्तशास्त्रम्
अर्थ :
सन्ध्या के समय में बादल तम्बाकू के रंग का हो या खाकी रंग का हो अथवा बादल में छेद दिखाई पड़े तो पानी का अन्त हो गया ऐसा जानो। र अह खंड भिण्णभिण्णा गोमुत्तसरिच्छ कपडवण्णाभा।
स कुणइ राइमरणं मंदं वरिसं णिवेदेहि॥३१॥ अर्थ :
यदि सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय में बादल खण्ड-खण्ड और गोमूत्र के जैसी आकृति वाले काले रंग के दिखाई देवे तो राजमरण तथा अल्पवर्षा की सूचना देते हैं।
का इच्छंती दीसइ अभेहि बहुविहेहि रूवेहि। __ अक्खइ बालविणासं हेमंतरणिगायासस्सा॥३२॥ अर्थ :
सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय यदि बादल के टुकड़े-टुकड़े । कई रंग के परिहात होवे तो बालकों की मृत्यु व पानी का अभाव ज्ञात होता है।
प्रकरण का विशेषार्थ वर्षाऋतु के समय में जिस दिन सूर्य अधिक दुस्सह और घी के समान वर्ण वाला हो उस दिन अवश्य वर्षा होगी।
जिस दिन उदयकालीन सूर्य अत्यन्त प्रकाश के कारण देखा न जा सके, पिघले हुए स्वर्ण के समान वर्ण वाला हो और तीव्र होकर तप रहा हो अथवा आकाश में बहुत ऊँचा चढ गया हो तो उस दिन बहुत अच्छी वर्षा होती है।
जिस दिन दिशाये निर्मल हों, आकाश कौओ के अण्डे की कान्ति को धारण करने वाला हो अथता गाय के नेत्र के समान कान्ति को