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-निमित्तशास्त्रम् ----
। ७। ___ अह णच्चंता दीसइ पुरुसेहि बहुविदेहि भूवेहि।
___ सो पंचमम्मि मासं रोयं रणे णिवेदेहि॥१९॥ अर्थ :
यदि अस्त होते हुए सूर्य में से पुरुषों के आकार की बहुत सी शाखायें जाज्वल्यमान होकर निकल रही हैं ऐसा दिखाई दे तो पाँचवें माह में बहुत से मनुष्य रुदन को प्राप्त होंगे।
उदयच्छमणो सूरो सूरिहि बहुएहि दीसए विद्धो।
मासे विदिए जुद्धं तद्देसो होई णायव्वं ॥२०|| अर्थ :
यदि सूर्योदय और सूर्यास्त होने के समय में सूर्य में छेद दिखाई दे तो वहाँ पर दो माह के अन्दर युद्ध होगा और उस युद्ध में बहुत से लोग । मरेंगे।
अह धूमो अच्छयणे गिम्हम्हि य दीसए जय सूरो। देसम्मि इदं घोरं तेरस दिय हम्म जुझं च॥२१॥
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अर्थ:
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यदि सूर्यास्त के समय में सूर्य के भीतर से धुों के गोले निकल में रहे हैं ऐसा ज्ञात हो तो तेरहवें दिन वहाँ युद्ध होगा ऐसा जानो।
प्रकरण का विशेषार्थ सूर्य प्रकरण में सूर्य के निमित्त से होने वाले शुभाशुभ फलों का ट्र कथन किया गया है। इस प्रकरण में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य
के आकार और रंग के आधार पर शुभाशुभत्व प्रकट किया गया है। भु यदि सूर्योदय के समय सारी दिशायें मूंगे के समान लाल दिखाई।
देती हो तो उस देश के राजा अथवा मन्त्री के पुत्र की मृत्यु हो सकती है। यदि सूर्योदय के समय में दसों दिशायें रक्त के समान लाल हो तो उस