________________
निमितशास्त्रम -
[१०७) बरसैगा। १५५. यदि अग्निकौंण मैं नजर आवै तो व्याधि से मृत्युसूचक है और तीन माहतक अवश्यमेव पानी बरसैगा। १५६. और शहर या गांवनाश होगा । सांप, इंस, मच्छर, चूहे इनकी ज्यादा पैदा होगी। १५७. यदि दक्षिण दिशा को नजर आवै तो सुभिक्ष और आरोग्य करती है। परंतु गर्भनाश और बच्चों को तकलीफ ज्यादा पहुंचाती है। १५८. अगर जैऋत्यकोण में नजर आवै तो हवा ज्यादा चलै और मौकेमौके पर पानी बरसैमा । ६ १५९. यदि वायव्यकोण मैं चमकै तौ हवा ज्यादा चलै. पानी कम पडै,
चोर ज्यादा हों । राजा का देश नाश हों। १६०. (इस गाथा का अर्थ छूट गया है।) १६१. यदि पश्चिम को नजर आवै तौ घानी खूब बरसै, नाज अच्छा। हो. ठंडी हवा चलैगी। १६२. ईशानकोण की बिजली राजा की मृत्यु, चोरभय, सुभिक्षा * रोगहानि बतलाती है। में १६३. (इस गाथा का अर्थ छूट गया है।)
१६४. यदि मार्गशीर्ष महिने में पानी बरसै तौ अवश्य ज्येष्ठ महीनें मैं पानी का नाश होगा। १६५. अगर पौष मास में बिजली चमक के पानी बरसै तौ अषाढ महीने
में अच्छी वर्षा हो। ११६६. अगर माघ और फाल्गुन में शुक्ल पक्ष मैं तीन दिन पानी बरसे
तौ छहे और नवें महीने में जरुर पानी पड़ेगा। । १६७. अगर आकाश में बादल छाये रहैं और हर वक्त बरसते रहैं तो * यहाँ पर जरूर व्याधि रात-दिन शुरू रहेगी।
१६८. अर कतिका नक्षत्रको पानी बरसै तौ देश का नुकसान करता है। १६९. यदि मृगशिर नक्षत्र को पानी बरसै तौ अवश्य सुभिक्ष होगा। आर्द्रा को बरसै तौ खंडवृष्टि हो और पुनर्वसु को बरसै तौ एक मासपर्यंत वर्षा रहेगी। १ १७०. पुष्य नक्षत्र को बरसै तौ श्रेष्ठ वर्षा होगी और नाज अच्छा होगा।