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________________ १ मोरेनाकी पूज्यपाद पं. गोपालदासजीकी कराई हुई कापी पर से । २ स्वर्गीय दानवीर सेठ माणिकचंदजीके चौगटीके मंदिर की नयचक्र और द्रव्यस्वभाव प्रकाशकी प्रतियों परसे। ये दोनों प्रतियां एक ही लेखकके हातकी लिखी हुई हैं और लगभग ४०० बर्ष पहले की हैं । प्रायः शुद्ध हैं । ३ शोलापूरके सरस्वती भण्डारकी एक प्रतिपरसे जो संवत १९३५ की लिखी हुई है और शुद्ध है । १५ एक बार इसकी प्रेसकापी पं० इन्द्रलालजी साहित्य शास्त्री जयपुर के पास मेजी गई थी और उन्होंने उसका कुछ भाग वहाँ के किसी सरस्वती भण्डारकी प्रतिपरसे शुद्ध कर दिया था । आलापपद्धतिका मुद्रण, निर्णयसागर में श्री० पं० पन्नालालजे । वाकलीवालके प्रयत्नसे छपी हुई प्रतिपरसे कराया गया है । इस ग्रन्थका सम्पादन और संशोधन श्रीयुक्त पं० वंशीधरजी शास्त्री न्यायतीर्थने किया है। और उन्हींके श्रीधर प्रेस में यह मुद्रित हुआ है । पूना:द्वितीय श्रावण वदी २ सं० १९७७ वि० - } निवेदक- नाथूराम प्रेमी मंत्री.
SR No.090298
Book TitleNaychakradi Sangraha
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBansidhar Pandit
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1920
Total Pages194
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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