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गमोकार एंथ
प्रथ श्री विमलनाथ तीर्थंकरस्य विवरण प्रारम्भःश्री वासुपूज्य भगवान के निर्वाण होने के अनन्तर तीस सागर के बाद श्री विमलनाथ भगवान् ने जन्म लिया। इनका पहला भव--सहस्रार नामक भारहवां स्वर्ग । जन्म स्थान ---कपिला नगर । पिता का नाम--श्री कृतवर्मा। माता का नाम-श्यामा देवी। बंश-इक्ष्वाकू। गर्भतिथि-कृष्ण ज्येष्ठ दशमी । जन्म तिथि-माघ शुक्ल ४ । जन्म नक्षत्र-उत्तराभाद्र पद ! शरीर का वर्ण-सुवर्णसम ।
__ चिन्ह-वाराह । शरीर प्रमाण-साठ धनुष । मायु प्रमाण साठ लाख वर्ष । कुमार काल - पन्द्रह लाख वर्ष । राज्य काल-तीस लाख वर्ष । पाणिग्रहण किया। इनके समकालीन प्रधान राजा का नाम-स्वयंभू वासुदेव । दीक्षा तिथि-माघ शुक्ल ४ । भगवान् के तप कल्याणक के गमन के समय की पालकी का नाम-देवदत्ता। भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले राजाओं की संख्या--१०००। दीक्षा वृक्ष जंबू वृक्ष । तपोवन-सहस्रावन (कपिला) । वैराग्य का कारण-मेघों का विघटना देखना । दीक्षा समय --अपरान्ह । दीक्षा लेने
गे ला पात्रान् पथ, नाम दिया । नाम नर जहाँ प्रथम पारणा किया-राजग्रही (महीपुर) । प्रथम आहार दाता का नाम-विशाखदत्त, तपश्चरण । काल-तीन वर्ष । केवल ज्ञान तिथि-माघ शुक्ल ६ ।
केवल ज्ञान समय–अपरान्ह काल । केवल ज्ञान स्थान-मनोहर वन । समवशरण प्रमाणछन्त योजन । गणधर संख्या-पचपन । मख्य गणधर का नाम --नंदिराय । वादियों की संख्या-३४००। चौदह पूर्व के पाठी-११०० । प्राचारांग सूत्र के पाठी शिष्य मुनि-३.४५००० |अवधि ज्ञानी मुनियों की संख्या- ४८००। केवल ज्ञानियों की संख्या-५५००० । विक्रिया ऋद्धिधारी मुनियों की संख्या-१००० । मनः पर्यय ज्ञानी मुनियों की संख्या ५५.०००। वादित्रऋद्धिधारी मुनियों की संख्या ३६०० । समस्त मुनियों की संख्या-६८००० । आर्यिकाओं को संख्या-१०३०००। मुख्य आर्यिका नाम-धरा । श्रावकों की संख्या --२०००००।
थाविकानों की संख्या--चार लाख। समवशरण काल-तीन वर्ष कम १५००००० लाख वर्ष । मोक्ष जाने से चौदह दिन पहले समवशरण विघटा । निर्वाण तिथि-प्राषाढ़ कृष्णा ६ । निर्वाण नक्षत्र--भरणी । मोक्ष जाने का समय - पूर्वान्ह । मोक्ष जाने के समय का प्रासान-कायोत्सर्ग । मोक्ष स्थान-सम्मेद शिखर (शालकूट)। भगवान के मुक्ति गमन के समय ८६०० मुनि साथ मोक्ष गए। समवशरण से समस्त ५१३००० मुनिमोक्ष गए। इनके तीर्थ में घालीस केवली हुए । पश्चात् पौन पल्य पर्यन्त धर्म का विच्छेद रहा । जब श्री अनन्त नाथ भगवान् का जन्म हुआ तब पुनः धर्म का प्रचार हुमा ।
इति श्री विमल नाथ तीर्थकरस्य विवरण समाप्त।
अथ श्री अनन्तनाथ तीर्थकरस्य विवरण प्रारम्भःश्री विमलनाथ भगवान के निर्वाण होने के अनन्तर नौ सागर के बाद श्री अनन्तनाथ भगवान् ने जन्म लिया । इनका पहला भव--अच्युत नामक सोलहवाँ स्वर्ग। जन्म स्थान-अयोध्या। पिता का नाम-श्री सिंह सेन । माता का नाम -सर्वयशादेवी । वंश-इक्ष्वाकु । गर्भ तिथि-कार्तिक कृष्ण १ । जन्म तिथि-ज्येष्ठ कृष्ण १२ । जन्म नक्षत्र-रेवसी । शरीर का वर्ण-सुवर्णसम । चिन्ह-सेही। शरीर प्रमाण-पचास धनुष । प्रायु प्रमाण-तीस लाख वर्ष । कुमार काल-साढ़े सात लाख वर्ष ।