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________________ २७५ गमोकार ग्रंथ - - " गगन गगनगMHD१५ जन्म तिथि--मार्गशीर्ष शुक्ल ११ जन्म नक्षत्र---मूल । शरीर का वर्ण - शुक्ल वर्ण । चिन्ह-मगर । शरीरप्रमाण-सी धनुष । प्रायु प्रमाण-दो लाख । पूर्व कुमार काल-पचास हजार पूर्व । राज्य काल - एक लाख पूर्व और २८ पूर्वांग । पाणिग्रहण किया। समकालीन प्रधान राजा का नाम-मेघना। दीक्षा तिथि-मार्गशीर्ष शुक्ला १ । भगवान के तप कल्याणक के गमन के समय को पालकी का नाम-पूर्यप्रभा ॥ भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले राजाओं की संख्या---एक हजार । दीक्षा वृक्ष-शालि वृक्ष । तपोवन पुष्पक बन (काकंदी)। वैराग्य का कारण-उल्कापात होते देखना। दीक्षा समय-पपरान्ह । दीक्षा लेने से एक बेला करने के पश्चात् प्रथम पारणा किया । नाम नगर जहाँ प्रथम पारणा किया-मंदर पुर (श्वेत पुर) । प्रथम प्राहार दाता का नाम--पुष्पक । तपश्चरण काल-चार वर्ष । के गल जान निधिकीतिक शुक्ल २ । केवल ज्ञान समय-अपरान्ह काल । केवल ज्ञान स्थान-मनोहर बन । समवशरण का प्रमाण-पाठयोजन । गणधर संख्या-८८ । मुख्य गणधर का माम--विदर्भ। वादियों को सख्या६६०० । चौदह पूर्व के पाठी-१५०० । प्राचारोग सूत्र के पाठो शिष्य मुनि-१५५.००० । अवधिज्ञानी भनियों की संख्या-६४००० । केवल ज्ञानियों की संख्या- ७५०० । विक्रिया ऋद्धिधारी मुनियों की संख्या-१३००० । मनःपर्यय ज्ञानी मुनियों की संख्या --७५०० । वादिऋद्धि धारी मुनियों की संख्या७६०० । समस्त मुनियों की संख्या-दो लाख । प्रायिकानों की संख्या--३८०००० । मुख्य प्रायिका का नाम-वारुणी । श्रावकों की संख्या दो लाख | श्राविकाओं की संख्या चार लाख । समवशरण काल - तीन मास कम ५०००० पूर्व । मोक्ष जाने के चौदह दिन पहले समवशरण विघटा। निर्वाण तिथिभाद्रपद शुक्ला अष्टमी । निर्वाण नक्षत्र ... मुला । मोक्ष जाने का समय -अपरान्ह । मोक्ष जाने के समय का प्रासन कायोत्सर्ग । मोक्ष स्थान-सम्मेद शिखर (सुप्रभ कूट) 1 भगवान के मुक्ति गमन के समय एक हजार मुनि मोक्ष गए । समवशरण से समस्त १७२६६० मुनि मोक्ष गए। श्री पुष्पदन्त भगवान के निर्वाण होने के अनन्तर इनको तीर्थ में नब्बे केवली हुए। पश्चात् पावपल्य पर्यन्त मुनि, अजिका, श्रावक, धाविका एवं चार प्रकार के संघ का असद्भाव होने से धर्म का प्रभाव रहा । जब शीतल नाथ भगवान का जन्म हुआ तब पुनः धर्म का प्रचार हुआ । ___|| इति ॥ अथ श्री शीलल साथ तीर्यकरस्य विवरण प्रारम्भःश्री पुष्पदन्त भगवान के निर्वाण होने के अनन्तर नौ कोडि सागर के बाद श्री शीतल नाथ भगवान ने जन्म लिया। इनका पहला भव--अच्युत नामक सोलहयाँ स्वर्ग । जन्म स्थान-भद्रिका पुरी । पिता का नाम-श्री दृढ़रथ । माता का नाम सुनन्दा देवी 1 वंश-इक्ष्वाकु । गर्भतिथि -चैत्र कृष्णा अष्टमी । जन्मतिथि-माघ कृष्णा १२ । जन्म नक्षत्रपूर्वाषाढ़-शरीर का वर्ण सुवर्णसम । चिन्ह श्रीवृक्ष (कल्पवृक्ष) शरीर प्रमाण नवे धनुष । प्रायु प्रमाण एक लाख पूर्व । कुमार काल-२५००० पूर्व । राज्य काल-५०००० पूर्व । पाणिग्रहण किया । समकालीन प्रधान राजा का नाम -सीमन्धर । दीक्षातिथि--माघ कृष्ण १२ । भगवान के तपकल्याणक के गमन के समय की पालकी का नाम-शुक्र प्रभा । भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले राजाओं की संख्या-एक हजार । दोक्षा वृक्ष लाक्ष वृक्ष (पीपल) 1 तपोवन--सहेतुकवन (भद्रिकापुर) । वैराग्य का कारण-मेघों का विघटना देखना । दीक्षा समय-अपरान्ह ! दीक्षा लेने से एक बेला करने के पश्चात् प्रथम पारणा किया । नाम नगर जहां प्रथम पारणा किया-अरिष्टपुर (हस्तिनापुर) । प्रथम प्राहार दाता का नाम-पुनर्वसु । तपश्चरण काल
SR No.090292
Book TitleNamokar Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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