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णमोकार प्रन्य
णमो अरहन्ताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं ॥ ऐसो पंच णमोकारो, सव्व पावप्पणासणो । मंगलाणं च सम्वेसि, पदम हवइ मंगलं ।।
प्रातकाल मंत्र जपो णमोकार भाई,
अक्षर पैतीस शुद्ध हृदय में धराई । नर भव तेरो सुफल होत पातक टरजाई,
विघन जासों दर होत संकट में सहाई ॥१॥ कल्पवृक्ष कामधेनु चिन्तामणि जाई, |
ऋद्धि सिद्धि पारस तेरो प्रगटाई ॥२॥ मंत्र जंत्र तंत्र सब जाही से बनाई,
सम्पति भण्डार भरे अक्षय निधि आई ॥३॥ तीन लोक मांहि सार वेदन में गाई,
जगत में प्रसिद्ध धन्य मंगलीक भाई ॥४॥
-चौलतराम