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________________ पदम पुराण हम सरवारथसिषि ते माय । अजितनाथ वीजो जिनराय ।। गरम जनम तप केवल ग्यांन । किये महोछन्ब मुर नर मान ॥१०॥ चक्री सगर दूसरा भया । छह पंढि साधि राज भोगिश ।। बाईस होय भौर पवतार | परम प्रगासेंगे संसार ।।१०।। चक्रवति है उस भोर । पाप प्रष्ट पारंगे नोडि ।। धर्म पुन्य की रक्षा करें । तीन काल सुभरण दिल धरै ।११०॥ पोलीस तीर्थकर ऋषमनाथ प्रथम जिणवेष । जैन धरम प्रकास्या भेव । दुजे भजितनाप जिरणराय । संभव अभिनंदन मुखदाय ।।१११॥ सुमति पदमप्रभू देव सुपास । चंद्रप्रभ मन पुरव मास ।। पुष्पदत सीतल श्रेयांस । वासपूज्य भुमरो जिणहंस ॥११२।। बंदी विमलनाथ मुजिणंद । मनंतनाथ घउदहीं मुरिंगद ।। धरमनाप जिलधरम महंत । शांति कुषु श्री भरु मरिहंत ।।११३॥ मल्लिनाथ मुनिसुवत देव । नमि नेम की फौजे सेव ॥ पायर्वनाय कमठ मद हया । बईमान प्रकासी दया ॥११॥ बाहुबलि का बल मधिक, द्रमा भमर मजसेन । श्रीधर दरसन भद्र पति । प्रसनचंद सुष सेन ॥११५।। चंदवरण चंद्रकला, प्रगाति. मुकति समंतकुमार ॥ श्रीवछराणा कनकप्रभ, मेघ बरण उनहार ।।११६॥ सांति कुय पर परह जिण. विजयराम श्रीचंद ।। नल राजा पुलभद्र प्रति, हनुमान छह देव ।। ११७|| प्रचिरल बलिराजा बसुदेव सेव बहसे करें प्रय मन रूप अपार ताहि क्यों मन धरै ।। नागकुमार सुदरशन सील पास्या परा, धारचौ दुव वृत सील सुभब सायर तिरपा ।।११।। चक्रवत्ति भयक भरच देश बहु साषिया । जीते भूप अनेक जिनों को बांधिया । घरपा घरम सौं ध्यान कर्म वसु क्षयकिया । केवल ज्ञान उपाय मुक्ति वासा लिया ।।११६।।
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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