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________________ मुनि सभाचं एवं उनका पपपुराण २७ उतारने योग्य है । इन सुभाषितों से काव्य सौष्ठव बढा है तथा वर्णन में मधुरता पायी है । कुछ उदाहरण निम्न प्रकार है(1) किसकी पृथ्वी झिसका राज, मौसम बहुत कर गये राज (३०/४२३) ये शब्द भरत ने ध्यानस्थ बाहुबली को कहे थे जिनके हृदय में एक शल्य था कि वह भरत को पृथ्वी पर तपस्या कर रहा है । (२) मागे को पीछा नहीले तात ( ६६) युद्ध में जान बचाकर भागने वाले का पीछा नहीं करना चाहिए। (३) ऐसा यह संसार स्वरूप, नटवत भेष कर बहुरूप (06/५५५) । मंसार की वास्तविक स्थिति बतलायी है जिसमें यह प्रामणी नट के । समान विचित्र रूप धारण करता रहता है। (४) जो नारी परपुरुष को रम, सो नारी नीची गति भ्रम (११८/८१६) (५) ज्या पकटे तीतर न वाज (१२४/८९३) (६) सोग विजोग रहट की घडी, क बहीं रीती कबही भरी (१७२/१५३१) (७) होणहार टार्यो किम टर (१८१/१६६१) (८) होगा हार कैसे टल, बहुविध करें उपाय । अगहोगी होगी नहीं, इह निमित्त का भाव ।।११, १६६२ (8) बेटी किसके घरै समाय (२०६।२०३५) (१०) दिन सेती ज्यु मोजन खाय (२२३/२२३४) (११) जती सन्यासी बिन प्रतीव, बाल वृद्ध नारी पसु जीव । पसु अपाहज मत मारो भूल, इनकी हत्या है प्रघमूल ॥२२६/२३२१ इस प्रकार और भी बहुत सी सुक्तियां एवं सुभाषित पुराण में से एकत्रित की जा सकती हैं वास्तव में ने कवि पुरारा काम को सरस एवं रोचक तथा प्रभावी बनाने के लिए इस प्रकार की रचना का प्रया सहारा लिया है। पाण्डुलिपि परिचय पपपुराण की एक मात्र पाण्डुलिपि डिग्मी (राजस्थान) के दि. जन मन्दिर में संग्रहीत हैं। इस पाण्डुलिपि में ११८ पत्र है जो १स। ४ ६ इंच साइज के है। प्रत्येक पृष्ठ में २० पंक्तियां हैं। पाण्डुलिपि संवत् १८५६ मिति प्रपाद वदि १४ सोमवार को लिखी हुई है । लिपिकार प्रशस्ति निम्न प्रकार से है इति श्री पदमपुराण सभाचन्द्र कृत संपूरन । संवत १८ से ५६ मिति आषाढ पदि १४ बार सोमवासरे लिखित पण्डित मोतीराम लिखायतं साहनी श्री गंगाराम जी की बहु जाप्ति दोराया मांडलगढ़ की उत्तराय माई का व्रत में पण्डित मोतीरामेन दीयो । पथ संख्या ११ हजार रुपया ७ दीया निजराना का शुभं भवतु।। पालि वि की प्राप्ति श्री माणकचन्द जी सटी डिग्गी के माध्यम से हुई है । वैसे
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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