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________________ मुनि सभाम्रक एवं उनका पद्मपुराण २५ वहाँ सराफ सराफी कर, बोल सत्ति मठ परिहरै। कसै कसौटी परखे दाम, लेवा देई सहज विश्राम 11 कुडलपुर नगर तो स्वर्ग के समान था जहां न कोई दुःखी व्यक्ति था और म दरिद्रता से घिरा हुमा । महलों के पास बाग बगीचे बने हुए थे। यही नहीं झरनों में जल भी बहता रहता था। कुलपुर सिखारथ राव, मद्रापुनीत जगत में नांउ । सोभा नगर ना आइ गिनी, सुरगपुरी की सोभा बनी ।१५.५६।। दुःखी दलिदिन कोई दीन, पंडित गुनी सकल परबीन । हाट बाजार चौहटे बने, सोभा सकल कहां लौ भन ।३५.६० बाहुबली की राजधानी पोदनपुर की सोभा तो पौर भी निराली थी जहाँ सभी मकान समान थे। घरों में रहने वाली स्त्रियां अप्सरामों से कम नहीं लगती पी। बड़ी कठिनता से भरत के वकील को बाहुबली का राजमहल मिला था। ऊचे मन्दिर सब एकसार, 'ढता पहुंचा राजदरबार ।।३८४८७॥ घर-घर नारी जागि अपरा, राजमहल सब सेती खरा 11 इसी तरह मिथला नगरौ, उज्जयिनी, महेन्द्रपुर नगर,1 लंका, अयोध्या प्रादि का पद्मपुराण में वर्णन पाया है वह पढ़ने योग्य है। महावीरवाणी पद्मपुराण में यत्र तत्र तीर्थंकरों के मुख से एवं मुनियों के द्वारा वामिक उपदेश दिया गया है। जीवन पालने के नियम बताए गए हैं तथा चरित्र निर्माण के कुछ सिमान्त प्रतिपादित किये गये हैं इसलिए पदमपुराण केवल कथानक मात्र न रहकर जीवन-निर्माण का ग्रन्थ भी बन गया है। सामान्य व्यक्ति के लिए निम्न मियामों को आवश्यक बतलाया गया है तिहु काल सामायक कर, सात विसन प्राठों मद हरे । सोलहकारन का व्रत पर, दमा धर्म दस विष बिस्तरे ।। १०:५६७|| ध्यार दान दे वित्त समान, औषद अभय प्रहार समान । सास्त्र दिया पावै बह ग्याम, बिनयबंत होई तजि अभिराम ||१०/१३॥ कवि ने दान पर बहुस जोर दिया है तथा धन होने पर भी दान नहीं देने को अबश एवं पापबंध का कारण बसलाया है १. देखिये पद्य संख्या २६३ ५. म ४०६२
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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