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________________ पपपुराण दा समये हुदा परसूत । कौण लगन में जन्म्यां पूत ।। पीही लेइ करि जौतिग साधि । सुपभ नाम संवतसर वाधि ।।१३२२स। सूरज स्वामि वरष का कया । सब निरतांत जोतिमी लह्या ॥ रवि है मीन चन्द्रा पक्र । मंगल वर्ष मीन मीन का सुक्र ॥१३२३।। बुध गीन बृहस्पति सिंह । सनीस्वर मीन का संह ।। पत्री लिए तिमी देय . तभी एने विषि ।।१३२४।। दक्षिणा दई विप्र ने राइ । निवरण करी सब देवां प्राइ ।। भजनो का विद्याधर के नगर जाना अंजनी प्रति बिवाण बैठाई । बसंतमाला संग लई चढाइ ॥१३२५।। विद्याधर ले निजपुर चल्या । सुगन मुहूरत साच्या भला । वहि विवारण चले पाकास । देख्या रनि बालक प्राकास ।।१३२६।। विमान से हनुमान का शिला पर गिरना उछल पडया परबत पर प्राय । अंजनी पुत्र पुत्र विललाय ।। रुदन करे प्रति सूरज घणां । आंसू पार नयण सौं वध्यां ।।१३२७।। मालक पडचा सिला पर प्राय । परवत चुर हुमा तिह ठाइ ।। पुन्यबंत के लगी न चोट । नुख पांव अंगुठा प्रोठ ॥१३२८।। हसौर उछल बारंबार । देय पुत्र सुख भया अपार ।। लिया उच्छंग हिया सौं ल्याइ । पुहने हनू कह पुर में जाइ ।।१३२६।। नगर मांहि अति थयो पानंदं । पूजा करि श्री देवजिणंद ।। बालक बधे नित उत्तम देह । रहै अंजनी मामा गेह ।।१३३०॥ सोरठा सब त बडो ज पुष्य, जल थल में रिक्षा करे ।। संकट बिकट उद्यान, कष्ट पौड सगली हरै ॥१३३१॥ इति श्री पद्मपुराणे हनुमान जन्म विधानकं ।। १७ वां विधानक चौपई पवनंजय के द्वारा रावण से विदा पवनंजय रावण पं जाइ । नमस्कार कीयो सिर नाइ ।। रावरण में प्रति प्रादर किया । बिदा वरण राजा पर किया ॥१३३२।।
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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