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________________ प्रस्तावना बहसी में ही रहते थे और उन्होंने पद्म पुगरण की रचना भी देहली में रहते हुये की थी। कवि के समय में देहली में मल हांधी भट्टारकों की भी गादी थी। इस गादी के भट्टारक मुनि रनकत्ति थे जो गंभीर ज्ञान के घारक थे तपस्वी थे तथा इन्द्रियों का निग्रह करने वाले थे । उन्हीं के पट्र में राम घाट मनि ए जो गत्ताचार्य थे जो सूक्ष्म व्याख्याता थे तथा रामकथा सुनने में रुचि रखते थे । श्री मूलसंघ सरस्वती गल्छ, नकारन मुनि घरम का पन्छ । तारन तरण ग्यान गंभीर, जागा सह प्राणी की पीर ।।४५|| सप संयम तं प्रातम ग्यान, धरम जिन स्वर कहै बस्यांन । शुरै भिध्यात उपज म्यान जे निसर्च घरि मनमैं ग्राम ॥४६।। गुरू के बचन सूरण निसवै धरै ते जीव भवसागर को तिरं। श्री रस्नकोत्ति तज्या संसार, पहूंचे स्वर्ग लोक तिह वार ||४|| उनके पट रामचन्द मुनि याचारिज पण्डित बह गुनी । कहैं ग्यान के सूरः ॐ भई बुधि उनके प्रमग ।।४।। रामकथा के विचित्र रूपः जैन माहित्य में राम कथा को दो धारायें मिलती हैं एक प्राचार्य रविषेसा के पदमपुराण की तथा दसरी गुणभद्र के उत्तरपुराण की। प्राचामं रनिषेण की राम कथा विगलमूरि के पउमचरिम एवं स्वयम्भू के पउमचरिउ पर प्राधारित है । लेकिन गुण भद्राचार्ग की राम कथा प्राचार्य रविषेण के कथानक से भिन्न है। हिन्दु धर्म की राम कथानों में वाल्मीकि रामायण सबसे प्राचीन है जिसका प्रभाव उत्तरकालीन सभी राम कथायों पर पड़ा है। महाभारत ब्रह्मपुराण, पनप राण, अग्निप राणा, वायुप राण प्रादि सभी में कुछ सामान्य परिवर्तन के साथ राम कथा को लिपिबद्ध किया गया है। इसके अतिरिक्त अध्यात्म-रामायण, प्रद भूतरामायण मानन्धरामायण के नाम से भी कई रामकाव्य लिखे गये हैं। इन्हीं के प्राधार पर तिब्बती तथा खेतागी रामायण, हिन्देशिया की रामायण काकावित जावा का प्राधुनिक "सरत राम" तथा हिन्द चीन, श्याम, ब्रह्मदेश, सया सिंहल प्रादि देशों की रामकथाए मिलती हैं । बौद्ध जातक "जातकटुवपणना" में रामकथा मिलती हैं। जो संक्षेप में निम्न प्रकार है - दशरथ महाराज वाराणसी में धर्म पूर्वक राज्य करते थे। इनकी ज्येष्ठा महीपी के तीन स्तान सी... दो पत्र (राम पण्डित और लपवण) और एक पत्री
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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