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________________ REPARAN मूलाराधना आवासः २० उत्तरापाहा नक्षत्रपर संन्यास ग्रहण करनेसे उसी दिनमें अथवा भाद्रपदा नक्षत्र में अपराण्ड कालमें IE मरण होता है. २. थरणनक्षत्र में यदि शय्या ग्रहण की जाय तो उत्तरभाद्रपदनक्षत्र में दिनमें काल होगा. २२ धनिष्ठा नक्षत्रपर शय्याग्रहण करनेसे उसी नक्षत्रके दिनमें मरण होगा यदि न होगा वो आगके उसी नक्षत्रके दिनमें मरण होगा. २३ शतभिषजनक्षत्रपर संन्यास ग्रहण करनेवाले मुनीका ज्येष्ठानक्षत्रपर सूर्यास्त समयमें मरण होता है. २५ पूर्वभाद्रपदनवनमें यदि शय्या ग्रहण की जाय तो पुनर्वसुनक्षत्रपर रातमें भरणकाल होगा. २५ उचर भाद्रपदनक्षत्रमें संस्तर ग्रहण करनेपर उस दिनमें अथवा रातम मरण होगा. २६ रेवती नक्षत्रपर संस्तरग्रहण करनेवाले क्षपकका मृगनक्षत्रपर मरण होता है. नक्षत्रगणनाके अनुसार यह मरणकंडिका समाप्त हुई है. शुभं भवतु पाठकानुवादकप्रकाशकमुद्रकाणामित्याशासे ।। Hokuniturdashu arundkrnylture ikunt ॥समामोऽयं ग्रंथः || BASTARATA SimpRTANTHARTIYATIMESARIMEHETirani
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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