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मूलाराधना
विषय
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हिंदी अनुवादके अनुसार
भगवती आराधना मुख्य पिपयों की सूची. विषयनाम पृष्टसंख्या | विषयनाम
पृष्टसंख्या १ मंगलपूर्वक आराधना वर्णनकी प्रतिज्ञा.
१५ मरणसमयमेही रत्नत्रयाराधना करनी चाहिये ऐसी २ आराधनाका स्वरूप और वह किसको होती है. . शिष्यको शंकाका सत्तर. ३ आराधनाके दो भेद.
20 १६ सदैव रत्नत्रयाराधना करना चाहिये इसका ४ मिथ्या दृष्टि सम्यग्ज्ञानका आधिक नहीं हैं. ३0 सदृष्टान्त खुलासा, ५ पारिवाराधनाम तप आराथनाका अन्तभीच. ३३/१७ अन्तमुहूर्त में रत्नत्रयकी आराधना करने से भी भुक्ति ६ अतिसंक्षेपकी अपेक्षासे चारित्राराधनामें ही इतर | मिलेगी अतः सर्वदा रत्नत्रयाराधन क्यों करना आराधनाओंका अन्तर्भाव,
इसका उत्तर. ७ ज्ञानाराधना और दर्शनाराधनाका चारित्राराधनामें १८ मरणके सत्रह भेद. अन्तर्भाव
१६ १९ पांच प्रकारके मरणोंका वर्णन. ८ चारित्राराषनामें तप आरावनाका अन्तर्भाव ५० २० वर्शनाराधनाका वर्णन. ९ यथान्यास चारित्रका सरूप और फलका वर्णन ५४, २१ सम्यम्हष्टि जीवका वर्णन.
१२२ १. दु:ख दूर करना यह ज्ञानका फल है इसका दृष्टांत- | २२ किनफे सूत्र प्रमाणभूत माने जाते हैं. युक्त वर्णन
५. २३ भविपरीत अर्थका निरूपण करनेवालेका लक्षण १२८ ११ कर्मका नाश होनेसे मुक्तिफल मिलता . ५८ २४ आशासम्यक्षीभी भाराधक है. १२ मरणसमयमें आराधनाकी विराधना करनेसे अनंत | २५ जीवद्रव्यके ऊपर प्रदान करना चाहिये. १३२ संसारकी प्राप्ति.
६.१ २६ मात्रधाविकोंकामी श्रदान करना चाहिये. १३५ १३ रत्नत्रयमे स्थिर होकरभी संक्लेश परिणाम उत्पन्न २७ थोडासा अन्नद्धान और बहुतसा प्रदान करले. होनेसे होनेवाली हानि.
६५ याला मिध्यादृष्टि है. १४ आराधनाओका विशिष्ट फल.
६६' २८ भिध्याष्टिका स्वरूप.
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