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________________ मुलाचना ११९८ देखकर और स्वच्छ कर उसपरसे पदार्थ उठा लेना अथवा उसपर पदार्थ रखना यह आदान निक्षेपण समिति है. एदेण चैव परिद्वावणसामंदीवि वष्णिया होदि ॥ बोसरणिज्जं दव्वं थांडेले बोसरितस्स ॥ ११९९ ॥ अनेनैव प्रकारेण प्रतिष्ठापनका मता ।। समितिस्त्यजतस्त्याज्यं प्रदेशे स्थंडिले यतः ।। १२३७ ॥ विजयोदया -- पण चैव आदाननिक्षेपविषययत्नकथनेन । पािवणसमिदीवि वणिदा होदि प्रतिष्टापनसमितिर्वर्धिता भवति । बोसराणज्जं परित्यक्तव्यं मूत्रपुरीषादिकं मलं । थंडिले वोसतिस स्थंडिले निर्जन्तुके, निरिच्छद्रे समे युतः ॥ प्रतिष्ठापन समिति व्याचष्टे मूलारा-- दैण आदानविक्षेपविषययत्नकथनेन । बोसरणिजं अवश्योत्सृज्यं । दवं विण्मूत्रलसिंवाणकलईलुचितकेशादिकं । दिले निर्जन्तुकनिच्छिद्र समत्वादिविशिष्टे प्रदेशे । तथा चावोचाम धर्मामृते-निर्जन्ती कुराले विविक्रविपुले लोकोपरोधोझिते ॥ प्लुष्टे दृष्ट उतोपरक्षितितले विष्ठादिकानुत्सृजन् || श्रमणेन नतमभितो हष्टे विभज्य विधा || सुपृष्टेऽप्यहस्तन समिताबुत्सर्ग उत्तिष्ठते ॥ अर्थ - आदाननिक्षेपण समितिका निर्दोष पालन करनेके कथनसेही प्रतिष्ठापन समितिका भी वर्णन हुआ. त्यागने योग्य सूत्र पुरीषादिक मलका त्याग निर्जन्तुक और निश्च्छिद्र जमीन में करनेवाले सुनि प्रतिष्ठापन समिति का पालन करते हैं. दाहिं सदा जुत्तो समिदीहिं जगम्मि विहरमाणो हु || हिंसादीहिं ण लिप्पड़ जीवणिकायाउले साहू | १२०० ॥ अम ११९
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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