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मूलाचार प्रदोप] { ४० )
प्रथम अधिकार महाव्रतधारियों का शुभाशीर्वाद ये पालयंति यमिनोऽन, महाव्रतानि यैः पालिसानि जिनदेवगणाधिपाः । ते मे स्तुतारच महिता, गरिशनो जिनेशाः सर्वार्थसिद्धि मखिला स्वयमादिशतु ॥२६॥
अर्थ-जो मुनिराज इन महावतों का पालन करते हैं अथवा जिन तीधकर या गणधर देवों ने इनका पालन किया है ; वे पूज्य तीर्थकर वा गणधर देव मेरे हृदय में विराजमान हों तथा मेरे लिए समस्त मोक्ष प्रादि सर्वोत्कृष्ट पदार्थों की सिद्धि प्रदान करें ।।२६४॥
प्रथमाधिकार समाप्त ।