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________________ [ षष्ठम अधिकार L सुलाचार प्रदीप } ( ३१७ ) चिन्त्यते रागनाशाय यववैराग्यबुद्धरे । योगिभियोगसंसिद्ध संस्थान विचर्याहि तत् ।।२०६१।। अर्थ-योगी पुरुष अपने योग की सिद्धि के लिये, वैराग्य की वृद्धि के लिये और रागद्वेषको नष्ट करने के लिये मोक्षको देनेवाली, रागद्वेष को नाश करनेवाली, राग्य को उत्पन्न करनेवाली और अनंत सुखको देनेवाली ऐसी अनित्य अशरण आदि बारह अनुप्रेक्षाओं का जो चितवन करते हैं उसको संस्थानवित्रय नामका धर्मध्यान कहते हैं ।।२०६०-२०६१॥ आज्ञावित्रय धर्मेध्यान का लक्षण प्रमाणीकृत्य तीर्थेशान् सर्वतान्योषदूरगान् 1 तत्प्रीतेषु सूक्ष्मेषुविश्वदृग्गोचरेषु च ।। २०६२ ॥ लोकालोका दिखेषु धर्मेषु मुक्तिवत्सु । रुचिः श्रद्धाप्रतीतिर्या तदाशाविषयंसताम् || २०६३ । अर्थ- - भगवान तीर्थंकर परमदेव सर्वज्ञ हैं और समस्त दोषों से रहित हैं, इसलिये भगवान तीर्थंकर परमदेव को प्रमाण मानकर उनके कहे हुए केवलज्ञान वा केवलवर्शन के गोचर ऐसे सूक्ष्म तत्वों में लोक- अलोक आणि तत्त्वों में, उनके कहे हुए धर्म में वा मोक्षमार्ग में जो रुचि श्रद्धा वा प्रतीति करना है वह सज्जनों के लिये श्राज्ञाविचय नामका धर्मध्यान कहा जाता है ।।२०६२-२०६३।। हेतु विजय धर्मध्यान का लक्षण स्माद्वावनयमा लक्ष्य हेतुदृष्टसमुक्तिभिः । पूर्वापराविरोधेन तर्कानुसर्गर घोषनंः | २०६४ ।। सर्वज्ञोक्ताः पार्थाद्याः स्थाप्यन्ते यत्र भूतले । यथातथ्येनविसेवा तद्ध सुविधदाभिधम् ॥। २०६५ ।। अर्थ- स्याद्वाद नयको आलंबन कर हेतु दृष्टांत और युक्तियों से अथवा तर्क वा अनुमानसे बुद्धिमान लोग पूर्वापर विरोध रहित भगवान सर्वज्ञवेव के कहे हुए पदार्थों को जो संसारभर में स्थापन कर देते हैं अथवा उनके यथार्थ स्वरूप को अपने हृदय में स्थापन कर लेते हैं उसको हेतुविचय नाम का धर्मध्यान कहते हैं ।1२०६४२०६५ ।। १० प्रकार के ध्यान करने की प्रेरणा एतदृशविधं धर्मध्यानं शुक्ल निबन्धनम् । ध्यातव्यं व्यानिभिनित्यं विश्वश्रेयस्करं परम् ।।२०६६।। अर्थ - इसप्रकार यह दश प्रकार का धर्मध्यान मोक्ष का कारण है, समस्त जीवों का कल्याण करनेवाला है और परम उत्कृष्ट है । इसलिये ध्यान करनेवालों को सदा इसका ध्यान करते रहना चाहिये || २०६६ ॥
SR No.090288
Book TitleMulachar Pradip
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size14 MB
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