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________________ प्राप्त होने के बाद, यहां संसार में आना कैसे सम्भव है तुम ही बता दो ! दुग्ध का विकास होता हैं फिर अन्त में घृत का विलास होता है, किन्तु घृत का दुग्ध के रूप में लौट आना सम्भव है क्या ? तुम ही बता दो ! दल की भाव-भंगिमा को देख कर पुनः सन्त ने कहा कि"इस पर भी यदि तुम्हें श्रमण-साधना के विषय में और अक्षय सुख-सम्बन्ध में विश्वास नहीं हो रहा हो तो फिर अब अन्तिम कुछ कहता हूँ कि, क्षेत्र की नहीं, आचरण की दृष्टि से मैं जहाँ पर हैं वहाँ आ कर देखो मुझे, तुम्हें होंगी मेरी सही-सहीं पहवान क्योंकि ऊपर से नीचे देखने से मुझ पाटी :. 187
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
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