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बड़ी तेजी के साथ ओज-तेज से मुख विमुख हुआ दल का, मुख में झाग जागने लगा धरती से हँसता सागर तट-सा और नाव भी डाँवाडोल हो गई, पता नहीं कितनी बार पल-भर में अपनी ही परिक्रमा लगाती रही वह ! नाव के साथ सबके प्राण जमाप डूबने को . : ..
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बात-बात में चक्रवात जब उत्पात-धात की ओर बढ़ता ही जा रहा 'इस अति की इति के लिए संकेत मिलता है उपालम्भ के साथ कुम्भ की ओर सेश्रद्धेय स्वामी की सेवा को सुखमय जीवन का स्रोत समझता सेवक की भाँति, वात भी कुम्भ के संकेत पर संयत हुआ।
और नाव पूर्व-स्थिति पर आती है
परिवार को तीन परिक्रमा देती। दुर्घटना टलने से समूचा माहौल ही प्रसन्न हुआ
Aid :: मूक माटी