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प्रभुपन पान से पूर्व एक की प्रशंसा
एक का प्रताड़न
एक का उत्धान
एक का पतन एक धनी, एक निर्धन
एक गुणी, एक निर्गुण
एक सुन्दर, एक बन्दर यह सच क्यों ?
'परा' भव का अनुभव वह कब होगा :--.
सम्भव है या नहीं
निकट भविष्य में
अविलम्ब बताओ, प्रभो !
इस गण-वैषभ्थ सं
इसे पीड़ा होती है, प्रभो !
देखा नहीं जाता
ओर
इसी कारण वाध्य हो कर आंखें बन्द करनी पड़ती हैं।
बड़ी कृपा होगी,
बड़ा उपकार होगा,
सथमं साम्य हो, स्वामिन्!"
पार्ट
कुम्भ की प्रार्थना से चिढ़ती हुई स्फटिक की झारी ने कहा कि,
"अरे पाणी !