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स्व बानी सम्पदा है,
स्व ही विधि का विधान है . यही निधि विधान हैं रव की उपलब्धि ही सर्वोपलब्धि है फिर, अतुल की तुलना क्यों ? यूँ कपोलों से अपनी पोल खुली देख, कुन्दन के कुण्डल यह और कुन्दित कान्तिहीन हुए।
सेट ने पड़ी से ले चोटी तक कमल-कर्णिका की आभा-सम पीताम्बर का पहनाब पहना है जिस पहनाव में उसका मुख गुलाव-सम खिला है और मन्द-मन्द बहते पवन के प्रभाव से पीताम्बर लहरदार हो रहा है, जिन लहरों में कुम्भ की नीलम छवि तैरती-सी सो पीताम्बर की पीलिमा अच्छी लगती नीलिमा को पीने हेतु उतावली करती है।
हो, इधर घर के सब बालों-चालाओं को
3411 :: मृक माटी