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________________ नया योग है, नया प्रयोग है नये-नये ये नयोपयोग हैं नयी कला ले हरी लसी ह नयी सम्पदा वरीयसी है नयी पतक में नया पुलक है "नया ललक में नयाँ झलक है नये भवन में नये छुचन हैं नये छुवन में नये स्फुरण हैं। , यू. यह नूतन परिवर्तन हुआ तथापि, इसका प्रभाव कहाँ पड़ामौन आसीन शिल्पी के ऊपर, मन्द-मन्द सुगन्ध पवन बह-बड़ कर भी वह अप्रभावक ही रहा। शिल्पी के रोम-रोम वे पुलकित कहाँ हुए ? अपरस को परस बह प्रभावित कब कर सकता? शिल्पी की नासा तक पहुँच कर भी गुलाब की ताजी महक वह उसकी नासा को जगा न सकी भागोपभोग की ये वस्तु जव भोग-लीन भोक्ता को भी तृप्त नहीं कर पाती हैं फिर तो यहाँ 251 :: मूक माटी
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
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