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________________ लूट जाती "तभी की इस विषय को स्मृति में लाता हुआ उपाम्य की पालना में डूबता हुआ शिल्पीकिसी बात की माँग नहीं की। इसका अर्थ यह नहीं कि अभाव का अनुभव नहीं हो रहा हो; अर्थ का अभाव कोई अभाव नहीं है. और प्रभ से अर्थ की मांग करना भी "व्यर्थ है ना ! जो आपकं पास है ही नहीं रखना चाहते ही नहीं उसकी क्या मांग ? परन्तु, परमार्थ का अभाव असह्य हो उठा है इसमें, विभो ! इस अभाव का अभाव कब हो ? किसी विशेष कारणवश शोकाकुल हो श्रान्त थक कर . शवासन से सोया हुआ किशोर के सूक्ष्मातिसूक्ष्म सिसकन में ही घनीभूत दुःख की गन्ध आती है यह भी माँ की नासा को। उसकी श्वसन-प्रणाली का सरकन आरोहण-अवरोहण का श्रवण माँ की श्रवणा ही कर सकती हैं। - - मूक माटी :: 238
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
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