SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 241
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यानी शिव-पथ पर चलेंगे हम, यू. उन्हें वचन देना महा वरदान है सुख-सुधा, और गुरु हो कर लघु जनों को स्वप्न में भी बचन देना, यानी उनका अनुकरण करना सुख की राह को मिटाना है। पर, हाँ ! विनय अनुनय-समेत यदि हित की बात पूछते हों, पक्षपात से रहित हो अक्षरात मे हेित. हो.. हित-मित-मिष्ट वचनों से उन्हें प्रवचन देना दुःख के दाह को मिटाना है। शनैः शनैः ज्वर-सूचक यन्त्र-गत ऊपर चढ़े हुए उतरते पारा-सम ! या उबलते-उफनते ऊपर उठ कर पात्र से बाहर उछलने को मचलते दूध में जल की कुछ बूंदें गिरते ही शान्त उपशमित दूध-सम ! कुम्भ को समझाते कुम्भकार की बातों से राजा की मति का उफान मूक मादी :: 219
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy