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________________ कुपथ- सुपथ की परख करने में प्रतिष्ठा पाई है स्त्री - समाज ने । इनकी आँखें हैं करुणा की कारिका शत्रुता छू नहीं सकती इन्हें मिलन- सारी मित्रता मुफ्त मिलती रहती इनसे । यही कारण है कि इनका सार्थक नाम है 'नारी' यानी 'न अरि' नारी" 202 : मूक माटी अथवा ये आरी नहीं हैं "सी"नारी"! जो मह यानी मंगलमय माहौल, महोत्सव जीवन में लाती है 'महिला' कहलाती वह ! जो निराधार हुआ, निरालम्ब, आधार का भूखा जीवन के प्रति उदासीन - हतोत्साही हुआ उस पुरुष में.. मही यानी धरती धृति-धारणी जननी के प्रति अपूर्व आस्था जगाती है। और पुरुष को रास्ता बताती है सही-सही गन्तव्य का'महिला' कहलाती वह ! इतना ही नहीं, और सुनो ! जो संग्रहणी व्याधि से ग्रसित हुआ है
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
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