________________
....
और सुनो, बेटा मासूम मछली रहना, यही समाधि की जनी है।'
और माटी सकेत करती है शिल्पी को.......
. कि "इस भव्यात्मा को कूप में पहुंचा दो सुरक्षा के साथ अविलम्ब ! अन्यथा इस का अवसान होगा, दोष के भागी तुम बनोगे असहनीय दुःख जिसका
फलदान होगा !" जल छन गया है
और जलीय जन्तु शेष बचे हैं वस्त्र में उन्हें और मछली को बालटी में शुद्ध जल डाल कर कूप में सुरक्षित पहुँचाता है शिल्पी, पूर्ण सावधान हो कर ।
कूप में एक बार और 'दया-विसुद्धो धम्मो' ध्वनि गूंजती है
और
ध्वनि से ध्वनि. प्रतिध्वनि निकलती हुई दीवारों से टकराती-टकराती ऊपर आ उपाश्रम में लीन डूबती"सी !
88 :: मूक पाटी