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श्रीमान् सेठ सिदराम पिराजी। श्रीमान् सेठ सिदरामजी सतारा जिलेकी तासगाँव तहसीलके 'सावळज' नामक ग्रामके रहनेवाले हैं । आप दिगम्बराम्नायको माननेवाली कासार नामक जैनजातिके पुरुष रत्न हैं । आप बड़े ही सज्जन, धर्मात्मा और जैनधर्मके ज्ञाता हैं । संस्कृत, हिंदी, कानड़ी और मराठी,
भाषाके आप अच्छे जानकार हैं । मराठी आपकी जन्म३ भाषा है । संस्कृत जैनग्रन्थोंका तो आप नित्यही स्वाध्याय है
किया करते हैं । दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदायके * ग्रन्थोंका आपने स्वाध्याय किया है । जैनधर्मके संस्कृत
साहित्यको प्रकाशित करनेकी ओर आपकी बड़ी रुचि । है । आप कहा करते हैं कि जैनोंका सबसे प्रथम कर्तव्य
अपने प्राचीन साहित्यका प्रकाशित करना है । क्योंकि है जैनसाहित्य ही जैनधर्मका जीवन है। ___ जैनसाहित्यका प्रचार करनेके लिए आपने इस है
ग्रन्थकी ५०० प्रतियाँ लेनेकी कृपाकरके इस संस्थाको उपकृत किया है। इस ग्रन्थमालाको सहायता देनेकी आप और भी सदिच्छा रखते हैं । अन्य धर्मात्माओंको आपका अनुकरण करना चाहिए ।
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