SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 171
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मरणकण्डिका - १४० मार्गण का काल प्रमाण एक द्वि- त्रीणि चत्वारि, वर्षाणि द्वादशापि च । निर्यापकमनुज्ञातं स मार्गयति निःश्रमः || ४१८ ॥ अर्थ - एक वर्ष, दो वर्ष, तीन वर्ष या चार वर्ष पर्यन्त अथवा श्रम का अनुभव न करते हुए वे समाधिइच्छुक आचार्य बारह वर्ष पर्यन्त निर्यापकाचार्य की खोज करते रहते हैं ॥४१८ ॥ निर्यापकाचार्य अन्वेषी के पाँच विशिष्ट कर्तव्य एकरात्र - तनूत्सर्ग, प्रश्न - स्वाध्याय पण्डितः । सर्वत्रैवाप्रतीबन्धः, स्थाण्डिलः साधु-संयुतः ॥४१९ ॥ अर्थ - एक रात्रि प्रतिमायोग, प्रश्न कुशलता, स्वाध्याय कुशलता, स्थानादि में अप्रतिबद्धता और साधु- संयुक्तता ये पाँच विशिष्ट कर्तव्य निर्यापकाचार्य की खोज करनेवाले आचार्य के होते हैं ।।४१९ || यद्यपि प्रस्थितो मले, सुरेरालोचनापर: । सम्पद्यते तरां मूकस्तथाप्याराधको मतः ॥ ४२० ॥ अर्थ - "मैं गुरु के निकट जाकर आलोचना करूँगा”, ऐसा संकल्प करके गुरु के समीप जाने के लिए जो आचार्य निकले हैं, वे यदि मार्ग में ही दैववशात् मूकावस्था को प्राप्त हो जायें तो भी वे आराधक ही माने जाते हैं ||४२० ॥ यद्यपि प्रस्थितो मूले, सूरेरालोचना परः । विपद्यतेऽन्तरालेऽपि तथाप्याराधकोस्ति सः ।।४२१ ।। गुरु जाने के लिए अर्थ - "मैं गुरु के पास जाकर आलोचना करूँगा” ऐसा संकल्प लेकर जो निकला है वह यदि मार्ग में ही मर जाय तो भी वह आराधक अर्थात् समाधिमरण करनेवाला माना जाता है ।। ४२१ ।। आलोचना- प्रवृत्तस्य गच्छतः सूरि-सन्निधिम् । यद्यप्यस्त्यमुखः सूरिस्तथाप्याराधकोऽस्ति सः ।।४२२ ॥ के पास अर्थ - आलोचना करने के संकल्प से जो गुरु के पास पहुँच रहा है और यदि अनायास वह आचार्य बोलने में असमर्थ हो जावे तो भी वह आराधक है ।। ४२२ ॥ आलोचना- प्रवृत्तस्य, गच्छतः सूरि- सन्निधौ । यद्यपि म्रियते सूरिस्तथाप्याराधकोस्ति सः ||४२३ ॥ अर्थ - आलोचना करने के संकल्प से जिस गुरु के पास आलोचना करने जा रहा था वे गुरु अर्थात् आचार्य यदि मरण को प्राप्त हो जावें तो भी वह आराधक है ॥४२३ ॥
SR No.090279
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherShrutoday Trust Udaipur
Publication Year
Total Pages684
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy