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________________ 93.15.10] [ 265 महाकइपुप्फयंतबिरयउ महापुराणु उल्लूरिवि किसलयकवलु लेंतु पियगणिवारिहिं भिसु करिहिं देंतु। अणवरयगलियकरड़यलदाणु काणणि णाणादुम भंजमाणु। हिमागीमनारसीयर मुगंटु . पं अद्विगन्धाराहरु सरंतु। दददंतमुसलखयखोणिभाउ कंपवियविवरु *रूसवियणाउ। गुमुगुमुगुमंतभमियालिबिंदु णं जंगमु अंजणमहिहरिंदु। पत्ता-रणभरहु समत्थु दसणदित्तिधवलास। सो विझगइंदु पुप्फयंतसंकासउ ॥15॥ 10 इप महापुराणे तिसद्विमहापुरिसगुणालंकारे महाभव्यभरहाणुमण्णिए महाकइपुष्फयंतविरइए महाकब्बे मरुभूइकरिंदजम्माषयारो __णाम तिणबदिमो परिच्छेउ समत्तो ॥9॥ किसलयों के कौर खाता हुआ, प्रिय हथिनियों को कमलिनी-कन्द देता हुआ, गण्डस्थल से अनवरत मदजल गिराता हुआ, वन में नाना वृक्षों को नष्ट करता हुआ, चन्द्रमा के समान शीतलजल कण छोड़ता हुआ मानो अभिनव जल-धारा बरसाता हुआ, अपने दृढ़ दाँतोंरूपी मूसल से धरती को खोदता हुआ, पक्षिवरों को कँपाता हुआ, और साँप को क्रुद्ध करता हुआ, जिसके चारों ओर गुनगुन करते हुए भ्रमर घूम रहे हैं, वह गज ऐसा लगता था, मानो चलता-फिरता अंजनपर्वत हो। ____घत्ता-रणभार में समर्थ, दाँतों की टीप्ति से आशाओं (दिशाओं) को धवलित करनेवाला वह विन्ध्यगज दिग्गज के समान था। वेसट महापुरुषों के गुणालंकारों से युक्त इस महापुराण में महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित तथा महाभष्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्य में मरुभूति का करीन्द्र-जम्मावतार नाम का तेरानबेचौं परिच्छेद समाप्त हुआ। 3. रूसपिङ गाउ; P तूसवियगाल । 1. AP तिणउदिमो।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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