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महाकइपुष्फर्यतविरयउ महापुराणु
[92.14.1
दि जिणु णीसत्त्नु णिरंतरू' पणवेप्पिणु पुच्छिउ सभवंतरु। अखइ मिणाहु इह भारहि चंपाणयरिहि महियलि' सारहि। मेहबाहु कुरुवंसपहाणउ
होतउ इंदसमाणउ राणउ। सोमदेउ बंभणु सोमाणणु सोमिल्लाबंभणियणमाणणु। सोमयत्तु सोमिल्लउ भाणिउ णंदण सोमभूइ जणि जाणिउ। ताह अणेयधण्णधणरिद्धिउ' अग्गिभूइ माउलउ पसिद्धउ । अग्गिलगभवाससंभूयउ
एयउ तिण्णि तासु पियधूयउ। धणसिरि मित्तसिरी वि मणोहर णायसिरी वि सुतुंगपओहर। दिण्णउ ताहें ताउ धवलच्छिउ कुलभवणारविंदणवलच्छिउ। जिणपयपंकयाइं पणवेप्पिणु सोमदेउ गउ दिक्ख लएप्पिणु। अण्णहिं दिणि धम्मरुइ भडारउ दूसहतवसंतत्तसरीरउ। णवकंदोट्टदलुज्जलणेत्ते
सोमदत्तणामें दियपुत्ते। परमइ अणुकंपाइ णियच्छिउ घरपंगणु पावंतु पडिच्छिवि। धणसिरिणि तेण दमोह
देखि रिमिति णिण्णेहहु । घत्ता-ता रूसिवि ताइ अलक्खणइ साहहि विसु करि दिण्णउं।
तं भक्खिवि तेण समंजसेण संणासणु पडिवण्णउं ।।4।।
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उन्होंने निरन्तर निःशल्य जिन के दर्शन किये और प्रणाम कर अपने जन्मान्तर पूछे । नेमिनाथ कहते हैं- "इस भरतक्षेत्र की चम्पानगरी में धरती पर श्रेष्ठ कुरुवंश का प्रधान राजा मेघवाहन था जो इन्द्र के समान था । चन्द्रमा के समान मुखवाला तथा अपनी सोमिला नाम की ब्राह्मणी के स्तनों का माननेवाला सोमदेव ब्राह्मण था। उसके सोमदत्त, सोमिल और सोमभूति पुत्र लोगों में जाने जाते थे। उनका अनेक धन-धान्य से समृद्ध अग्निभूति मामा प्रसिद्ध था। पत्नी अग्निला के गर्भ से उत्पन्न उसकी ये तीन पुत्रियाँ थी-धनश्री, मित्रश्री और नागश्री, सुन्दर और अत्यन्त ऊँचे स्तनोंवाली। धवल आँखोंवाली तथा कुलभवन रूपी अरविन्द की नवलक्ष्मियाँ वे कन्याएँ उनको (मानजों को) दे दी गयीं। सोमदेव जिनवर के चरणकमलों में प्रणाम कर दीक्षा लेकर चला गया। दूसरे दिन असह्य तप से संतप्त-शरीर भट्टारक धर्मरुचि मुनि को नवकमल-दल के समान नेत्रयाले सोमदत्त नामक ब्राह्मणपुत्र ने अत्यन्त अनुकम्पा से देखा तथा घर के आँगन में पाकर पड़गाहा और उसने धनीश्री से कहा कि व्रतों को ग्रहण करनेवाले वीतराग मुनि को आहार दो। ___घत्ता-तब क्रुद्ध होकर उस लक्षणहीना ने साधु के कर में विष दे दिया। उसे खाकर सामंजस्यशील मुनि ने संन्यास स्वीकार कर लिया।
(14) 1. D णिरंबरु । 2. APS महियल । 3. A मेहवाउ। 4. APS धरिदउ । 3. AIs "बासे; "वासि। ६. p“पयोहर। 7. A ताउ ताहं । 8.P सोपभूइ' 19.A धणिसिरिता फणिसिरि। 10. वयगेहहो। 11.5दिष्णु।
यहाँ पर 'संन्यास का अर्थ सल्लेखना या समाधि है।-सम्पादक