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168 ] महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु
[89.5.9 विसहरधरसंरुद्धणाणादुवारंतरो" पंडुडिरपिंडुज्जलुद्दामभाभूरिणा चामरोहेण जक्खेहिं विजिज्जमाणो । 4 ।
अमरकरविमुच्चंतपुप्फंजलीगंधलुद्धालिसामंगणो देवसानगंगाणच्यणाद्धोयड्पीरितोस।।
सयलजणपिओ" धम्मवासो सुभासो हयासो अरोसो अदोसो सुलेसो सुवेसो सुणासीरईसो ससीरीसिरीसंथुओ।6।।
सुरवरतरुसाहासुराहासमिल्लो जयंको जणाणं पहाणो जरासंधरायारिभीसावहो भिण्णमायाकयंको।।
पविउलपरभामंडलुब्भूयदित्ती' विहिज्जतघोरंधयारो विराओ विरहतछत्तत्तओ पत्तसंसारपारी।।
अमरकरणिहम्मतभेरीरवाहूयतेलोक्कलोयाहिरामो सुधामो' सुणामो अधामो अपेम्मो सुसोम्मो।9।
कलिमलपरिवज्जिओ पुज्जिओ भावणिंदेहिं चंदेहिं कप्पामरिंदाहमिदेहि णो णिज्जिओ भीमपंचिंदियस्थेहि णिग्गंथपंथस्स यारओ।10।
कलसकुलिससंखंकुसंभोयसयलिंदवत्तीधरित्तीधरामहातीरिणीलक्खणालंकिओ७
चंकभावेण मुक्को रिसी अज्जवो उज्जुओ सिद्धतच्चो सुसच्चो।।1। अजन्मा विषधरों के नाना कठोर आक्रमणों को रोकनेवाले सफेद फेन समूह के समान उज्ज्वल और उत्कट क्रान्ति से प्रचुर चमर समूह से यक्षिणियों द्वारा हवा किये जाते हुए, देवों की हस्तमुक्त पुष्पांजलियों की गन्ध पर लुब्ध होनेवाले भ्रमरों के समान श्याम अंगोंवाले, देवों द्वारा श्रीकृष्ण के आँगन में नृत्य के अवसर पर प्रारब्ध गेयध्वनि से सन्तोष देनेवाले, समस्त जनों के लिए प्रिय, धर्म के निवास, सुभाषी, हताश, अरोष, सुलेश्य, सुवेश, इन्द्रेश और बलभद्र सहित श्रीकृष्ण के द्वारा संस्तुत;
कल्पवृक्षों की शाखाओं की सुन्दर शोभा से सहित, जय से अंकित, जनों में प्रधान, जरासन्ध रूपी शत्रु के लिए अत्यन्त भीषण, माया को दूर करनेवाले यश से अंकित;
विशाल एवं श्रेष्ठ भामण्डलों से उत्पन्न दीप्तिवाले, घोर अन्धकार को नष्ट करनेवाले, विरागी, तीन छत्रों से शोभित और संसार-पार को पा जानेवाले (उसका अन्त करनेवाले);
देवों के हाथों से आहत भेरियों के शब्दों से बुलाये गये, त्रिलोक में सुन्दर, सुधाम, सुनाम, अधाम, अप्रेम और सुसौम्य ___ कलिमल से रहित जो कल्पवासी देवों और अहमेन्द्रों द्वारा पूज्य हैं तथा जो भयंकर इन्द्रियों के द्वारा नहीं जीते जा सके, ऐसे निर्ग्रन्थ पथ के नेता हैं; ___ कलश, वज्र, शंख, कुश, कमल मेरुयुक्त धरती, पताका और महानदी के लक्षणों से अंकित, कुटिलता के भाव से मुक्त, ऋषि, वचन और शरीर से सरल; तत्त्वों का कथन करनेवाले और सत्यशील।1।। B. AP वर for धर"| 12. P दिव्य। 19. 5 जणपीओ। 14. पविउलपभामंडल। 15. AB सधम्मो सुपुत्वंतणामो अवामो। 16. AP सुसम्मी। 17.2% पंचेंटिग । 18. Als "सइलिंदवंती: "सइलिंददंती। 19. BS धरती। 20. P अजुवो।