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________________ 87.17.16] महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु घत्ता - थिउ भुजंतु सुहाई णेमि सबंधवसंजुउ | भरसरोरुहसूरु पुष्पदंतगणसंउ ॥17॥ इय महापुराणे तिसट्टिमहापुरिसगुणालंकारे महाकइपुष्फयंत बिरइए महाभयभरहाणुमणि महाकचे मितित्थकरउप्पत्ती" णाम सत्तासीतिमो" परिच्छेउ समत्तो । [ 135 पत्ता - और सुखों का भोग करते हुए अपने भाइयों से युक्त नेमि, भरतरूपी कमल के सूर्य थे, और नक्षत्रों के द्वारा संस्तुत थे। इस प्रकार प्रेसट महापुरुषों के गुणों और अलंकारों से युक्त महापुराण में महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित और महाभव्य भरत द्वारा अनुमत इस महाकाव्य का नेमि तीर्थकर उत्पत्ति नामक सत्तासीव परिच्छेद समाप्त हुआ । 21. A "तित्यंकर": S तित्ययर । 22 सत्तासीमो S सत्तासीतितम् । 15
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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