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________________ [43 69.35.4] महाका-पटफयंत-चिरइयउ महापुराण तवचरणें आलिवि मयणपुरि णारउ अहमिद विभाणवरि । अज्ज वि अच्छइ जिणगुण महइ अइसयमइ' दसरहासु कहइ । पत्ता-भरहकुमारजणेर हो हो जण्णु कि किज्जइ ॥ जगमहंतु. अरहंतु पुष्फवंतु पणविज्जइ ।। 351 इय महापुराणे तिसहिमहापुरिसगुणालंकारे महाभव्वभरहाणुमण्णिए महाकइपुष्फयंतविरइए महाकवे रामलक्खणभरहसत्तुहणुप्पत्ती' णाम जागणिवारणं" णाम एक्कूणहत्तरिमो" परिच्छेओ समत्तो।।69॥ कामदेव को जलाकर नारद अहमेन्द्र विमान में देव हुआ आज भी वहाँ जिन वेवों का आदर करता है । इस प्रकार अतिशय मसिवाले वह मुनि राजा दशरथ से कहते हैं। पत्ता-हे भरत कुमार को जन्म देने वाले दशरथ, यज्ञ मत करो। विश्व में महान् अरहन्त को नमस्कार किया जाये। प्रेसठ महापुरुषों के गुणालंकारों से युक्त महापुराण में महाकवि पुष्पदंत द्वारा विरचित एवं महामण्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्य का राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की उत्पत्ति नाम यशनिवारण नाम उनहत्तरवा परिषद समाप्त हमा। 5.AP तवमलणे । 6.A विमाणु धरि; P विवाणुवरि । 7. APइस सयमः। 8. APण। 9.A राममरहलक्वण1 10. A जग्णणिवारणं । 11.A एकत्तिमो; Pणयसद्रिमो।
SR No.090276
Book TitleMahapurana Part 4
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages288
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size7 MB
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