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________________ 14] महाकवि पुष्पदन्त विरचित महापुराण [69.2.10 घत्ता--भरहह भत्तिभरासु' बहुरसभावजणेरडं ।। तं आहासमि जुज्झु रावणरामहु' केरऊं।।2।। जिणचरणजुयलसंणिहियमइ आउच्छइ पहु मगहाहिबइ। णिरु संसयसल्लिङ मज्झु मणु गोत्तमगणहर मुणिणाह भणु । किं दहमुह सहुं दहमुहहिं हुउ किर' जम्में गायउ तासु सुउ। जो सुम्मइ भीस असुलबलु कि रक्तसुकधी मालु कि अंचिउ तेण सिरेण हरु कि वीसणयणु कि वीसकरु । किं तहु मरणावह रामसर कि दीहर थिर सिरिरमणकर । सुग्गीवपमुह णिसियासिधर कि वाणर किं ते णरपवर। कि अज्जु वि देव विहीसणहु जीविउ ण जाइ जमसासणहु । छम्मासई णिद्द' णेय मुयइ कि कुंभयण्णु घोरइ सुयाइ । कि महिससहासहि धउ लहइ लइ लोउ असच्चु सब्बु कहइ । वम्मीयवासवयणिहि णडिउ अण्णाणु कुम्मन्गकूवि पडिउ। पत्ता-गोत्तम पोमचरित्त, भुवणि पवित्त पयासहि ।। जिह सिद्धत्थसुएण दिट्ठउँ तिह महुं भासहि ।।3।। घत्ता और जो भक्ति से भरे भरत के लिए अनेक रसों और भावों को उत्पन्न करने वाला है, ऐसे उस रावण-राम के युद्ध का मैं कथन करता हूँ। 10 जिन भगवान् के चरणकमलों में अपनी बुद्धि को स्थिर करता हुआ मगधराज श्रेणिक पूछता है, "मेरा मन संशय से अत्यन्त पीड़ित है। इसलिए हे मुनियों के स्वामी गौतम गणधर, मुझे बताइये कि क्या रावण दस मुखों के साथ उत्पन्न हुआ था? क्या जन्म से ही उसका पुत्र इन्द्रजीत उससे बड़ा था? जो भीषण अतुल बल वाला सुना जाता है,क्या वह राक्षस था या दुष्ट मनुष्य ? क्या उसने अपने सिरों से शिव की पूजा की थी? क्या उसके वीस नेत्र व बीस हाथ थे? क्या राम के तीर उसके मरण के कारण थे या लक्ष्मी का रमण करनेवाले लक्ष्मण के लम्बे स्थिर हाथ उसका वध करने वाले थे तथा पैनी तलवार धारण करनेवाले सुग्रीव आदिजन क्या बैंदर थे या कि नरश्रेष्ठ ? हे देव, आज भी विभीषण का जीव यम शासन में नहीं जाता । क्या कुम्भकर्ण इतनी घोर नींद में सोता है कि छह महीने तक नींद नहीं छोड़ता? क्या वह हजारों भैंसों से भी तृप्ति को प्राप्त नहीं होता? लो सब लोग असत्य कहते हैं। वाल्मीकि और व्यास जैसे कवियों से प्रवंचित होकर अज्ञानी लोग कुमार्ग के कुएँ में पड़ते हैं। __घत्ता-हे गौतम, इस संसार में आप पवित्र पद्मचरित्र को प्रकाशित कीजिए। सिद्धार्थ सुत (महावीर) ने जिस प्रकार से देखा है, वैसा मुझे बताइए। 6. P भत्तियरामु। 7. AP रामण" । (3) 1. P कि जमें। 2. AP सो सुम्मद । 3. A मणुवकुल । 4. AP Tय जिद्द 1 5. APT पउर्म ।
SR No.090276
Book TitleMahapurana Part 4
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages288
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size7 MB
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