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________________ 256] महाकवि पुष्पहात षिरचित महापुराण छिहत्तरों सन्धि (2) 66 आजकल में यह लंका पहुंचेगा । रावण विद्याधर जाति में उत्पन्न हुआ था जो नमि के भाई विनमि को प्राप्त हुआ। (3) राम के धनुष का नाम वजावतं था। 9 लक्ष्मण के के धनुष का नाम पांचजन्य था। 14 रावण विभीषण से कहता है कि यदि विभीषण उसे छोड देता है तो वह (रावण कम्भकर्ण की सहायता लेगा। (4) 54 तृष की सीक रो पोई अपने दांतों को साफ करता है। तृण के लिए सण, तणु प्रयोग अनियमित है। (6) 10a सब विद्याधरों ने वानर का रूप बनाया और तब लंका की सैर की। (७) 9a अग्नि जिसकी गति काली धूम्र रेखा का विसर्जन करती है अर्थात् धूम्रध्वज । सतहत्तरवों सन्धि (2) 8b चंदहासु---रावण की तलवार। 14 हम हरि (लक्ष्मण) और बल (राम) से करते हैं। वे बहुत शक्तिशाली हैं। (3) 13 रावण संकटकाल में भी पूरा धैर्य बनाए रखता था। (6) I क्या यह एक के कार एफ गिर रहे भुवनों की आवाज है ? ऐसे कितने ही भुवन होते हैं जो एक के ऊपर एक आधारित है जिसे मराठी में उतरंड कहा जाता है। 6b वश्वसु-यम। (9) 5-17 युद्ध से उठी हुई धूलि का एक सुन्दर चित्रण । (13) 54 तलवारों के परस्पर घर्षण से निकलती हुई चिंगारियाँ। 13 शिरस्त्राण । अठहत्तरवों सन्धि (1) 2 कृष्ण अर्थात् लक्ष्मण जिनका रंग काला है। 1 5a-b विजयपर्वत और अंजनगिरि, लक्ष्मण और राम के हाथियों के नाम हैं। (5) 118-b एक सैनिक दूसरे सैनिक से कहता है, तुमने अपने स्वामी का ऋण चुकाने में अपना सिर दे दिया है और अपना रक्त उसका व्याज चुकाने में दे रहे हो। (8) 3a तीर लोह या लोभ धारण करते हैं इसीलिए वे डोरी से ज्युक्त अथवा गुणों से व्युत होते हैं। (9) 21 दृश्य पर उपस्थित हुआ । (10) 14 मैं अपने शब्दों पर कायम रहूँगा । (11) 3b कटु शब्द खार युक्त । तीखे शब्द । (13) 8h राम जिनका रंग गोरा है, साहेद पप के समान । इसलिए वे पद्म कहलाए। उनके चरित का वर्णन करने वाले पुराणचरित कहलाये पमचरित, पद्मपुराण आदि । (14) ४a-b यह पंक्ति दो कहा बतों को अंकित करती है-झील में कर्कट भी जलचर कहलाता है यद्यपि इसका अर्थ मगर है। जहां वृक्ष नहीं होते वहाँ एर भी बड़ा पेड़ कहलाता है।
SR No.090276
Book TitleMahapurana Part 4
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages288
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size7 MB
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