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________________ [255 अंगरेजी टिप्पणियो का हिन्दी अनुवाद पौड़ा माग अपने साथ घर ले जाता है, निर्माल्य का.भाग जो प्रतिमा को अर्पित किया जाता है। (15) 2 जैसे स्वर्णभांड पर खप्पर का ढक्कन दिया जाए। भिगार भूगार झारी के रूप में ज्ञात है। (22) 12a मंदोदरी ने सीता को अपनी कन्या के रूप में पहचान लिया उसके पैरों के चिह्नों से । (24).136 हनुमत् ने, जो विद्यापर या, वानर का रूप धारण कर लिया और सीता के सामने खड़ा हो गया । यह इस बात को स्पष्ट करता है कि जैन पुराण विद्या के अनुसार, यही कारण है कि जिससे हनुमान को वानर समझा गया। (26) 86 मैं आपके और राम के बीच की गुप्त बातें बताऊंगा जिससे आपको विश्वास हो जाएगा कि मैं राम की तरफ से आया है। बाद की पक्तियों में बांभज्ञान के कुछ चिह्न हैं, कुछ दूसरे कड़वक की पंक्तियों में हैं। (28) 10a-b अब आग अपनी ही जाति को जला देती है, वृक्ष और लकड़ी कि जिनसे उसका जन्म होता है, तब यह अपने शत्रभों को कब अमा करेगी? यही कारण है कि आप जल को गरम करती है। (29) 135 सीता प्रतिज्ञा करती है कि रावण के साप समय नष्ट नहीं करेगी। कोरापान एक सपथ है, जिसे कोई गंभीरता से लेता है। पसरवी सन्धि (4) 16 हनुमान् से दूत बनकर फिर लंका जाने के लिए कहा गया । कवि व्यंग के साथ उसकी बल से तुलना करता है जिसे दुबारा गाड़ी में जोता गया हो । हिन्दू पुराण विधा के अनुसार राम का दूत अंगद था। (6) 4b अर्थात् श्री, सीता और वसुन्धरा (पृथ्वी)। (४) 15 प्रेम के देवता कामदेव इझुदंड का धनुष रखते हैं । (15) 30 अश्वग्रीव का संदर्भ जो पहला वासुदेव है जिसने स्वयंप्रभा से प्रेम किया और जो प्रयम बासुदेव निपृष्ठ के द्वारा मारा गया। (16) 70 नील सुग्रीव के मित्रों में से एक था । b सुग्रीव का एक अन्य मित्र कुमुद था। कुन्द और नल सुप्रीव के ही नाम है। पचहत्तरी प्तग्वि {1) 8 राषण के अनुयायियों के नाम । (2) 9b पहले बासि को लंका थाने दीजिए। 10b वह मुझे महामेघ नाम का हाथी दे। (3) b तथापि दवाव से महीं कहा गया । (4) ib एक आपत्ति पहले से है यानी बाग और इसे बढ़ाने के लिए हवा की सहर भा रही है। 12 अब मैं कुछ होता हूँ। (6) 100 किलकिलपुर का स्वामी यानी वालि । (9) 2 शक्ति का इतना बड़ा विस्तार।
SR No.090276
Book TitleMahapurana Part 4
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages288
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size7 MB
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