SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 242
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक्कूणासीमोसं धि णिगिनि भीमणि पुजा गया। महि हिंडंतु पहु पीठइरि' रामु संपत्तउ ॥ध्र वर्कः। गिरि सोहइ हरिणा भउ जणंतु गिरि सोहई मत्तमऊरणाउ गिरि सोहइ वरवणवारणेहि गिरि सोहइ उड्डियवाणरेहि गिरि सोहइ णवबाणासणेहि तहिं पुदकोडिसिल दिटु तेहि मंतिहि पउतु भो' धम्मरासि एवहिं जा लक्खणु भुयहि धरइ पहु सोहइ हरिणा महि जिणंतु। पहु सोहद्द णायमऊरणाउ। पहु सोहइ वारिणिवारणेहि । पहु सोह्इ खगधयवाणरेहि। पहु सोहइ भडबाणासणेहिं। पुज्जिय बंदिय हरिहलहरेहि। उद्धरिय तिविठे एह आसि । तो देव तिखंडधरत्ति हरइ।। उन्यासीवी संधि युद्ध में भयंकर दुर्जेय और मदमत्त रावण का वध कर, धरती पर भ्रमण करते हुए प्रभु राम पीठगिरि पर पहुंचे। गिरि सिंह से भय उत्पन्न करता हुआ शोभित है, राम हरि (लक्ष्मण) के द्वारा धरती जीतते हुए शोभित हैं। गिरि मयूर और नागों से शोभित है, प्रभु (राम) किन्नरों की सुख्यात हृदयध्वनि से शोभित हैं। गिरि उत्तम वनगजों से शोभित है, प्रभु छत्रों (वारि निवारणों) से शोभित हैं। गिरि उछलते हुए बानरों से शोभित है, प्रभु विद्याधरों तथा वानरध्वजों से शोभित हैं। गिरि बाण और आसन वृक्षों से शोभित है, प्रभु (राम) योद्धाओं और धनुषों से शोभित हैं। वहां उन्होंने एक पूर्वकोटि शिला को देखा। राम और लक्ष्मण ने उसकी वंदना और पूजा की। मंत्रियों ने कहा-हे धर्मराशि, यह शिला त्रिपृष्ठ के द्वारा उठाई गई थी। यदि लक्ष्मण इसे अपनी भुजाओं से उठाता है, तो हे देव, यह तीन खण्ड धरती का हरण करने (1) P पीपलहरि । 2. A उट्टिय3. AP सिलकोडिपुञ्च तहि दिद्रुतेहिं । 4. P omits हरि। 5.Aण धम्मरासि।
SR No.090276
Book TitleMahapurana Part 4
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages288
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy