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75.7.3]
महाकइ-पत-विरइय महापुराण
सोडियरहाशे प्रधिरार्द लुयदळगुडाई हयगय डाई खयपेविखराई गयपक्खराई
तुट्टच्छ्रराई बहुमच्छराई पिराई पहरणपराई ता तहि रणंति पीणियकयंति ints चंदु रिद्धी इंदु तें भणिउं भाइ रे रे अराइ पहुमाणद' खल दुनिय
घत्ता - मेल्लेपणु" सेव महुतणिय बंधुणिबंध" तिलरिणइं ॥ पइसरिवि सरणु भूगोयरहं जीवेसहि भणु कइ दिई ||6||
मा पावहि आहविपाणणासु तं वयणु सुगिवि सुग्गी चवइ तो लक्ख भूगोre frहत्तु
आसियणहाई तासियगहाई । ताडिया' पाडियभडाई | चुयहरिवराई कंपियधराई । मरणिच्छिराई खणमुच्छिराई । मणिम्भराई ह्यभयभराई । सामंतकति वेयालवंति । footoलिपुरिंदु धाउ खगिंदु | विज्जाहराई मेल्लिविसजाइ । वज्जियगुणड्ड' सुग्गीव संद"
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जज्जाहि पाव किfoकधवासु । पई फेडिवि जइ मइ णाहि थवइ । अह तो पई पिष्फलु पउत्तु' ।
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अवरुद्ध हो उठे । रथ मुड़ने लगे, ध्वज फटने लगे। दोनों आकाश में व्याप्त हो गए और ग्रहों को पीड़ित करने लगे । छिन्न हो गए हैं दृढ़ लगाम जिनके ऐसे घोड़ों और हाथियों की घटाओं वाले दोनों दल त्रस्त हो उठे । योद्धा गिरने लगे। दर्शक नाश को प्राप्त होने लगे। कवच गिरने लगे । श्रेष्ठ अश्व च्युत होने लगे। दोनों सैन्य धरती कंपाने लगे, अप्सराओं को संतुष्ट करने लगे । दोनों मत्सर से भरे हुए थे। दोनों मरण की इच्छा कर रहे थे, दोनों क्षण-क्षण में मूर्च्छा को प्राप्त हो रहे थे, दोनों शत्रु को प्ररंचित करने वाले थे, दोनों प्रहरणों में तत्पर थे। दोनों मद से परिपूर्ण थे। जिसने कृतांत को प्रसन्न किया है, जो सामंतों से कांत और वैतालों से युक्त है, ऐसे उस युद्ध के बीच, कांति से युक्त चन्द्रमा और ऋद्धि से युक्त इन्द्र के समान किलकिलपुर का राजा विद्याधरेन्द्र बालि दौड़ा। उसने भाई से कहा – रे शत्रु, विद्याधरों और अपनी जाति को छोड़कर, स्वामी के मान से दग्ध दुष्ट दुविदग्ध गुण ऋद्धि से शून्य हे सुग्रीव,
घता -- मेरी सेवा, बंधु के संबंध और स्नेह के ऋण को छोड़कर, तथा मनुष्यों की सेवा में प्रवेश कर बता तू कितने दिन जीवित रहेगा ?
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युद्ध में अपने प्राणों का नाश मत कर। हे पाप, किष्किंधा नगरी चला जा । यह वचन सुनकर सुग्रीव कहता है - यदि तुम्हें नष्ट कर, मुझे स्थापित नहीं करता तो लक्ष्मण निश्चित रूप से भूगोचर है, नहीं तो तुमने निष्फल कथन किया। फिर वे दोनों विद्याबल से एक 3. AP फाडिया मोडियरहाई । 4. AP तासिय' । 5. A पेक्खराई। 6. A हियभय । 7. A दड् । 8. A दुब्बियड्छु । 9 A गुणड़। 10. A संडु | 11. मेल्लिवि सेवर । 12. AP बघुनिबद्धई । (7) 1.A णिस्तु